सासाराम़ वर्षों की परंपरा को तोड़ना है. जाति-धर्म का बंधन तोड़ समाज की सेवा करूंगा. मैंने नौकरी से वीआरएस लिया है, समाजसेवा से नहीं. यह बात आइएएस की नौकरी से वीआरएस लेने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आप्त सचिव रहे और राजस्व व भूमि सुधार विभाग के सचिव पद पर रहते वीआरएस लेने वाले दिनेश कुमार राय ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहीं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मुझे स्नेह करते हैं. मैंने सीएम के साथ बहुत काम किया है. बिहार की जनता की मैंने बहुत सेवा की है. नौकरी से त्याग पत्र दिया हूं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में मुझे करीब तीन लाख रुपये वेतन मिलता था. आठवां वेतन भी लागू होने वाला है, जिसमें करीब 50 हजार रुपये की बढोत्तरी होती. लेकिन मैंने पहले से ही मन बना लिया था कि नौकरी के बाद अपने गांव व समाज को समय दूंगा. वैसे मैं पहले से समाजसेवा में सक्रिय भूमिका निभाता रहा हूं. अब करगहर विधानसभा क्षेत्र की जनता के साथ पूरे बिहार में गरीबों व वंचितों की सेवा करने का विचार किया हूं. वैसे अपने गृहक्षेत्र में काम करना बहुत अच्छा लगता है. मुख्यमंत्री के आप्त सचिव और पश्चिमी चंपारण के डीएम के पद पर रहने के दौरान करगहर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले आयोजनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के दौरान दिनेश कुमार राय का राजनीति में आने की चर्चाएं होने लगी थीं. उन चर्चाओं को और हवा तब मिल गयी है, जब उन्होंने नौकरी से वीआरएस ले लिया. हालांकि, प्रभात खबर में बातचीत के दौरान दिनेश कुमार राय राजनीतिक बातों से बचते रहे. पर, जिले के साथ विशेष कर करगहर विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम है. सीएम की नजदीकी के मद्देनजर लोग जदयू से उनकी उम्मीदवारी लगभग तय मान रहे हैं. अगर पार्टी इन्हें करगहर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवारी बनाती है, तो कई नेताओं के सपने टूट जायेंगे. स्वजातीय के दम पर राजनीति करने वालों की हवा ही निकल जायेगी. यह कयास लगाया जाने लगा है कि जदयू के कुछ नेता इस परिस्थिति में दूसरे दलों का हाथ भी थाम सकते हैं.
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