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हिंदू धर्म में बुद्ध को माना गया है अवतारी : विनय बाबा

Sasaram news. बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को शहर के विभिन्न मंदिरों व सार्वजनिक स्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना की गयी.

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर मंदिरों में की गयी विशेष पूजा-अर्चना फोटो-2- डालमियानगर सब्जी मंडी के पास स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना करतीं श्रद्धालु. प्रतिनिधि, डेहरी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को शहर के विभिन्न मंदिरों व सार्वजनिक स्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना की गयी. जय भारती सेवा संस्थान द्वारा डालमियानगर सब्जी मंडी के पास स्थित हनुमान मंदिर के प्रांगण में विशेष पूजन, हवन और प्रसाद वितरण किया गया. मंदिर में पहुंचे भक्तों ने जय भारती सेवा संस्थान के सचिव अपने गुरु व नगर पूजा समिति के आचार्य पंडित विनय कुमार मिश्रा उर्फ विनय बाबा के मार्गदर्शन में पूजा-अर्चना की. भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य विनय बाबा ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा वह पावन पवित्र दिवस है, जिस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को बुद्ध जयंती और बुद्ध पूर्णिमा के तौर पर सभी मनाते हैं. वैसे बुद्ध पूर्णिमा कई मायनों में अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यह दिन भगवान बुद्ध के जन्म, सत्य का ज्ञान और महानिर्वाण के रूप में भी मनाया जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, साथ ही वैशाख पूर्णिमा के दिन कुशीनगर में गौतम बुद्ध का महानिर्वाण भी हुआ था. आज के दिन बौद्ध धर्म के लोग बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं और बुद्ध का उपदेश बोधि वृक्ष के नीचे सुनाते हैं. इसके सिवा हिंदू धर्म में बुद्ध को अवतारी माना गया है, इसलिए हिंदू धर्म के लोग इस दिन गंगा स्नान करके भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ देते हैं. बुद्ध ने मध्यमार्ग को अपनाया था. बुद्ध का संदेश मौजूदा परिपेक्ष्य में पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है. बुद्ध ने कहा था कि हर दुख का कारण तृष्णा है, इसलिए किसी भी वस्तु के लिए तृष्णा रखना दुख का कारण है. इस मौके पर मधु सिंह, मंजू देवी, सविता, सुनीता देवी, मंजू देवी, ज्योति कुमारी, बेबी कुमारी, चितरंजन पाल आदि उपस्थित थे. उधर, बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर पतंजलि आदर्श योग कक्षा एनीकट में यज्ञ हवन किया गया. इस मौके पर पतंजलि योग समिति जिला प्रभारी उमाशंकर प्रसाद ने कहा कि यज्ञ हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है. इससे वायु मंडल में अनेक प्रकार के रोगनाशक कीटाणुओं का नाश होता है. महात्मा बुद्ध ने 35 वर्ष की उम्र में छह वर्ष तक गया (विहार) निरंजना नदी के तट पर पीपल के वृक्ष के नीचे तपस्या की थी. यज्ञ हवन कार्यक्रम में कौशल कुमार सिंह, सरोज कुमार, राजेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह, प्रभु नारायण शर्मा, ललन चौधरी, ददन राय, श्रीभगवान प्रसाद, संजय कुमार, बबन सिंह, दिनेश कुमार, सत्येंद्र सिंह अजय कुमार आदि उपस्थित थे.

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