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Gaya News : प्रभात खास : घर की छत को ही कंचन ने बना डाला किचन गार्डन

मशरूम उत्पादन के बाद वेस्ट बैग में बिना मिट्टी के उत्पादन कर रहीं हरी सब्जियां

प्रमोद कुमार, बांकेबाजार

यूं तो बांकेबाजार प्रखंड की महिलाएं पारंपरिक खेती को छोड़ औषधीय व ऑर्गेनिक कृषि के मामले में अपनी पहचान जिले तथा राज्य में बना ही चुकी हैं. यहां की महिलाएं लेमनग्रास, मशरूम, मेंथा, काला तिल सहित अन्य प्रकार की खेती कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. इस माध्यम से अच्छी आमदनी भी कर रही हैं. इसके बावजूद महिलाओं की सोच इससे भी ऊपर उठकर कुछ करने को लगातार रहती है. इतना ही नहीं, प्रखंड की एक महिला बिना जमीन व मिट्टी के ही हरी सब्जियों का उत्पादन कर अच्छी आमदनी कर रही हैं. इस प्रकार से खेती दीघासीन गांव की कंचन कुमारी कर रही हैं. वह घर की छत पर ही किचन गार्डन बनाकर साग, बैंगन, करैला, झिंगी, भिंडी सहित अन्य सब्जियां उगाकर अपनी आमदनी बढ़ा रही है. कंचन कुमारी मशरूम की खेती में रोज एक नया प्रयोग कर रही हैं. घर में ही बटर, बेस्टर और मिल्की मशरूम का सालोंभर उत्पादन कर अच्छी आमदनी कर रही है. कंचन ने मशरूम की खेती के बाद वेस्ट टू वेल्थ का बढ़िया उपयोग किया है. मशरूम उगाने वाले बैग में किचन गार्डन के माध्यम से सब्जियों की खेती कर रही है.

महिलाओं से करायी खेती की शुरुआतकंचन कुमारी बताती हैं कि मशरूम उत्पादन के बाद बैग को फेंक दिया जाता था. इस बेकार बैग में आज साग, बैंगन, करैला, झिंगी, भिंडी जैसे विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन कर रही है. साथ ही अन्य महिलाओं को वेस्ट बैग देकर सब्जी की खेती की शुरुआत करायी है. उन्होंने बताया कि सर्व सेवा समिति संस्था के जिला प्रबंधक रजनी भूषण ने मुझे सलाह दी थी कि बैग को इस तरह नहीं फेकें. अगर, आपके पास जमीन नहीं है, तो छत पर वेस्ट मशरूम बैग को डालकर सब्जी लगाकर देखिए. उनके कहने पर पहली बार हमने उसमें बीज डालकर के देखा और फसल अच्छी होने के बाद दलित परिवार के अन्य घरों में यह कार्य कराना शुरू किया है.

सीमित स्थान में उगा सकते हैं सब्जियांबांकेबाजार महिला विकास फार्मा प्रोड्यूसर कंपनी की को-ऑर्डिनेटर रीता कुमारी ने बताया कि बिना जमीन और मिट्टी के किचन गार्डन के रूप में सब्जी की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकता है. जब आपके पास सीमित स्थान हो, तो घर के लिए सब्जी आसानी से उगायी जा सकती है. आदर्श महिला विकासवलंबी सहकारी समिति लिमिटेड की अध्यक्ष द्रोपदी देवी ने बताया कि दलित परिवारों के पास जमीन नहीं होती है. इसीलिए, यह एक बढ़िया विकल्प है. इस तरह से जैविक सब्जी उत्पादन कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं और उनके स्वास्थ्य में बहुत सुधार हो सकता है. मशरूम वेस्ट कंपोस्ट के पोषक तत्वों को उपयोग करके सब्जी की खेती की जा सकती है.

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