सासाराम सदर. सदर अस्पताल के एसएनसीयू में इलाज के दौरान नवजात के मरने की सूचना पर सासाराम लोकसभा क्षेत्र के सांसद रविवार को अस्पताल पहुंच गये. पहले तो नवजात की मौत का परिजनों से जानकारी ली, फिर वहां की व्यवस्था को देख भड़क गये. उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल पूरी तरह से कुव्यवस्था की चपेट में है. इसका नतीजा है कि चिकित्सकों के गायब रहने व लापरवाही के कारण आये दिन कई गरीब परिवार के बच्चे, महिला व बुजुर्गों की जान जा रही है. बिहार व देश का अस्पताल लूट खसोट का अड्डा बन गया है. सरकारी अस्पतालों में लगभग मरीज गरीब तबके के आते हैं. उनकी चिकित्सक व अस्पताल प्रबंधन एक नहीं सुनता है. जब सूबे के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की स्थिति ही बदहाल हो तो अस्पतालों की स्थिति का आकलन किया जा सकता है. सांसद ने कहा कि सदर अस्पताल के चिकित्सक नवजात बच्चे की स्थिति पूछने पर परिजनों को जानकारी नहीं दे रहे थे. बल्कि उल्टे परिजनों पर धौंस दिखाते हैं. परिजनों की शिकायत पर अस्पताल पहुंचे सांसद ने कहा कि जब अस्पताल के चिकित्सक एक सांसद से अकड़ दिखा रहे है, तो आमजनों की हालत समझी जा सकती है. उधर, इस मामले में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ बिके पुष्कर ने बताया कि दो दिन पूर्व बिक्रमगंज के सूर्यपुरा सीएचसी में प्रसव के बाद परिजनों द्वारा नवजात को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था. वार्ड में बेड खाली नहीं होने के बावजूद नवजात को भर्ती किया गया था, जो ज्यादा इंफेक्शन की चपेट में आ गया था. उसके फेफड़े में पानी की शिकायत हो गयी थी और श्वास का प्रॉब्लम था. इससे उसकी मौत हुई है. अस्पताल में नवजात का सही इलाज किया जा रहा था. सांसद एसएनसीयू में जूता पहने घुसे थे. उनको चिकित्सक द्वारा जूता बाहर खोलने की बात कही गयी, इस पर वह आग बबूला हो गये. एसएनसीयू में ऐसे में भी इंफेक्शन फैलने के कारण अधिक भीड़ व जूते चप्पल पहनकर प्रवेश करना पर वर्जित रहता है. अन्यथा उसमें इलाजरत नवजात बच्चों में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. सांसद का आरोप निराधार है.
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