कोचस. नगर पंचायत का कैलेंडर वर्ष बहुत पहले बदल चुका है. अब कुछ दिन बाद वित्तीय वर्ष भी बदलने वाला है. लेकिन, करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण की तस्वीर नहीं बदली है. नगर में सफाई-व्यवस्था की हालत जस की तस बनी हुई है. विकास के कार्य भी आधे-अधूरे पड़े हुए हैं. नगर पंचायत कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में छठे वित्त से 1.92 करोड़ और 15वें वित्त से कुल 1.35 लाख रुपये नगर के विकास के लिए प्राप्त हुए हैं. लेकिन, अधिकारियों की उदासीनता के कारण कुल प्राप्त राशि में महज 65 फीसदी ही विभिन्न योजनाओं पर खर्च की गयी है. नगर पंचायत की साफ-सफाई पर प्रतिमाह करीब 16 लाख रुपये खर्च होते हैं. इतनी राशि खर्च करने के बाद भी चारों तरफ़ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. बस पड़ाव से लेकर गली-मुहल्ले में कचरे का ढेर लगा हुआ है. कई वार्डों में जलजमाव की समस्या बनी हुई है. नगर में चारों तरफ फैली गंदगी मानों नगर प्रशासन को मुंह चिढ़ा रही है .सफाई के नाम पर एजेंसियों की ओर से सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. गली से लेकर सड़कों तक कूड़े का साम्राज्य कायम है. नगर पंचायत के गठन के 11 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है. भले ही नगर पंचायत बनने के बाद होल्डिंग समेत अन्य टैक्स लोगों से वसूले जा रहे हैं. लेकिन, सुविधाओं में कोई इजाफा नहीं हुआ है. अधिकारी ऑफिस में बैठे-बैठे ही शहर में साफ-सफाई की निगरानी कर रहे हैं. दूसरी ओर वार्ड की विभिन्न गलियों में कचरे का अंबार लगा हुआ है. इस संबंध में नगर स्वच्छता पदाधिकारी प्रीति आर्या ने कहा कि शहर की साफ-सफाई और इसके चहुंमुखी विकास को लेकर अनेक योजनाएं चलायी जा रही हैं. कुछ वार्डों में साफ-सफाई से संबंधित शिकायतें मिली हैं. इसकी जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
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