पूर्व विधायक सह विस एससी/एसटी समिति के सभापति ने वन एवं पर्यावरण विभाग को पत्र लिख उठायी मांग वर्ष 2006 में रेहल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा था-पहाड़ी फलों पर वनवासियों का अधिकार है फोटो-20- वन एवं पर्यावरण मंत्री को मांग पत्र सौंपते पूर्व विधायक ललन पासवान. प्रतिनिधि, सासाराम सदर रोहतास जिला अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर वन विभाग के सेंचुरी क्षेत्र में फड़ने वाले महुआ, पियार, हर्रे, बहेरा, तेन, आंवला जोंगी, तेंदू पत्ता समेत अन्य जंगली फलों से प्रतिबंध हटेगा. इसके लिए चेनारी के पूर्व विधायक सह बिहार विधानसभा अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण समिति के सभापति ललन पासवान ने वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री व मुख्य सचिव को मांग पत्र सौंपा है. उन्होंने मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि रोहतास एवं कैमूर जिला अंतर्गत पहाड़ी पर आदिवासी व वनवासियों के दर्जनों गांव हैं. इसमें वनवासी निवास करते हैं. इनका मुख्य पेशा महुआ का फल, पियार, हर्रे, बहेरा, आंवला, तेंदू पत्ता, तेन, जोंगी तोड़ व चुनकर अपना जीवन यापन करना है. उक्त पहाड़ी पर कोई उद्योग-धंधा नहीं है और न ही वनवासियों की जीविकोपार्जन का कोई मुख्य पेशा है. वर्ष 2006 में नौहट्टा के रेहल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने भी कहा था कि वन के फलों एवं औषधियों पर आदिवासियों का अधिकार है. सरकार इसके लिए बाजार उपलब्ध करायेगी एवं खरीदेगी. इससे आदिवासी एवं वनवासियों की जीविकोपार्जन होगा. मुख्यमंत्री के वादे के बावजूद अब तक वन विभाग के सेंचुरी के फलों से प्रतिबंध नहीं हटा और न ही बाजार उपलब्ध कराया गया. ऐसे में हर वर्ष सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. उन्होंने सभी पहाड़ी फलों और औषधियों पर लगे प्रतिबंध को मुक्त कर वन विभाग द्वारा कैमूर पहाड़ी पर बाजार उपलब्ध करा वनवासी व आदिवासियों को जीविकोपार्जन सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है.
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