त्याग का पर्व. तकरीर में मुस्लिम धर्मावलंबियों को दिया गया संदेश, इस्लाम देता है इंसानियत का पैगाम
नमाज के बाद सभी ने मुल्क में अमन-चैन व भाईचारे के लिए अल्लाह की बारगाह में मांगीं दुआएंफोटो-12- ईदगाह में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करते लोग.
ए- नमाज के बाद गले मिलते बच्चे. बी- मक्का मस्जिद में नमाज के लिए बैठे मुस्लिम धर्मावलंबी. सी- नमाज के बाद गले मिलते बच्चे. प्रतिनिधि, सासाराम ग्रामीण/डेहरी जिले में शनिवार को ईद उल अजहा का पर्व अकीदत के साथ मनाया गया. इस अवसर पर जिले के विभिन्न ईदगाह व मस्जिदों में नमाज अदा की गयी. शहर के ईदगाह में नमाज के लिए पहुंचे. इसके बाद तक़रीर में मुस्लिम धर्मावलंबियों को संदेश दिया गया कि इस्लाम इंसानियत का पैग़ाम देता है. मुसलमान अल्लाह की बंदगी और उसके बंदों की खिदमत कर ले, तो वह अपने जीवन में कामयाब हो जायेगा. ईद उल अजहा का पर्व हमें त्याग का संदेश देता है. अल्लाह को खुश करने के लिए किसी अहम चीज को त्यागना भी पड़े, तो त्याग देना चाहिए. नमाज के बाद सभी ने मुल्क में अमन-चैन व भाईचारे के लिए अल्लाह की बारगाह में हाथ फैला कर दुआएं मांगी और फिर एक-दूसरे के गले लगकर ईद की मुबारकबाद दी. इसे लेकर अकीदतमंदों में काफी उत्साह दिखा. इस दौरान मुस्लिम इलाकों में काफी चहल-पहल रही. सुबह से जिले में ईदगाहों व मस्जिदों में पूर्व से निर्धारित समय पर बकरीद की नमाज अदा की गयी. नमाज में बड़े बुजुर्ग से लेकर नौजवान व बच्चे भी शामिल हुए. अकीदतमंद सुबह में गुस्ल, नये कपड़े और इत्र लगाकर अल्लाह का नाम लेते हुए मस्जिद पहुंचे. डेहरी शहर की ईदगाह मस्जिद, मदनी मस्जिद, मक्का मस्जिद, नूरानी मस्जिद, गौसिया मस्जिद, सगिरिया मस्जिद, स्टेशन रोड मस्जिद, न्यू डिलयां मस्जिद, बेलाल मस्जिद, बस्तीपुर मस्जिद, कमरनगंज मस्जिद, रहमारियां मस्जिद, मोती मस्जिद व जामा मस्जिद बारह पत्थर में ईद-उल-अजहा की नमाज अकीदत के साथ अदा की गयी. अकीदतमंदों ने नमाज अदा कर अल्लाह की इबादत की और अल्लाह से देश सहित पूरे विश्व में अमन-चैन और पूरे परिवार की खुशहाली व समृद्धि की दुआ मांगी. नमाज अदा कराने के बाद मौलाना ने खुतबा पढ़ा. भाईचारे का पैगाम देते हुए कुर्बानी की अहमियत बतायी. नमाज पढ़ने को लेकर शहर में सबसे अधिक भीड़ जामा मस्जिद बारह पत्थर में रही. वहीं, बकरीद की नमाज खत्म होते ही सभी ने एक-दूसरे के गले मिलकर पर्व की बधाई दी.नमाज के बाद दी गयी कुर्बानी
नमाज के बाद मुस्लिम धर्मावलंबियों ने बकरे की कुर्बानी दी. कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा गया. एक हिस्सा खुद के लिए रखा गया, दूसरा सगे-संबंधियों व दोस्तों में बांटा गया और तीसरा हिस्सा गरीबों के बीच बांट दिया गया, ताकि इस दिन सभी खुशी-खुशी बकरीद का पर्व मना सकें. कुर्बानी के बाद दिन भर दावतों का दौर चलता रहा. कुर्बानी के गोश्त से तरह-तरह के मांसाहारी पकवान बनाये गये. इसमें मुख्य रूप से मटन बिरयानी व मटन कढ़ी आदि शामिल रहा. इसके अलावा सेवई, छोला, दहीबड़ा सहित तरह-तरह के शाकाहारी पकवान भी बनें और मेहमानों को परोसे गये. दोस्त व रिश्तेदार घरों पर पहुंचते रहे और दावत चलती रही.दिन भर जारी रहा बधाइयों का सिलसिला
ईद-उल-अजहा को लेकर दिन भर बधाइयों का सिलसिला जारी है. लोगों ने एक-दूसरे को फोन कर ईद-उल-अजहा की बधाई दी. वहीं, सोशल मीडिया के अंतर्गत वाट्सएप व फेसबुक के माध्यम से भी लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी. साथ ही घर जाकर भी बधाई देने का सिलसिला दिन भर चलता रहा.
त्योहार के दौरान प्रशासन रहा अलर्ट
बकरीद पर्व को ले सुरक्षा व विधि व्यवस्था को लेकर प्रशासनिक महकमा पूरी तरह अलर्ट व सजग रहा. जिले की सभी मस्जिदों के बाहर दंडाधिकारी के साथ पुलिस जवानों की प्रतिनियुक्ति की गयी थी. वहीं चौक चौराहों पर भी पुलिस के जवान तैनात थे. संवेदनशील स्थानों पर भी पुलिस की गश्त बढ़ा दी गयी थी. पुलिस की पेट्रोलिंग भी दिन भर जारी थी. सायरन की आवाज गूंज रहे थे. सभी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी विधि व्यवस्था को लेकर गश्त करते दिखाई दिये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है