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Sasaram News : सरकारी अफसरों की आंखों पर टिकी है नकली-असली उर्वरक की पहचान

जिले में धान की रोपनी शुरू हो चुकी है. लक्ष्य 2.06 लाख हेक्टेयर खेतों में धान की रोपनी के विरुद्ध अब तक 19 प्रतिशत खेतों में धान की रोपनी हुई है.

सासाराम सदर. जिले में धान की रोपनी शुरू हो चुकी है. लक्ष्य 2.06 लाख हेक्टेयर खेतों में धान की रोपनी के विरुद्ध अब तक 19 प्रतिशत खेतों में धान की रोपनी हुई है. अच्छी बारिश होने के कारण रोपनी कार्य तेजी में है. अब रोपनी के बाद खेतों में उर्वरकों की जरूरत पड़ेगी. इसी बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक बयान आया है कि नकली उर्वरकों की बिक्री के विरुद्ध राज्य सरकारें कार्रवाई करें. कृषि मंत्री का यह बयान दर्शाता है कि खेती के इस सीजन में नकली उर्वरक भी बाजार में आ चुके हैं. जिले में पिछले वर्ष नकली खाद पकड़ी गयी थी. बिक्रमगंज में किसानों की शिकायत के बाद रैक से आये उर्वरक की जांच करायी गयी थी. नकली पाये जाने पर उर्वरक को बाजार की दुकानों से विभाग ने वापस लिया था. लेकिन, रैक से बाजार तक पहुंच के बाद बहुत सारे किसान नकली खाद ले चुके थे और उसका इस्तेमाल भी कर चुके थे. इसके कारण उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था. केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद किसान सतर्क हैं. लेकिन, नकली-असली की पहचान किसान कैसे करेंगे? इसका कोई ठोस उपकरण नहीं है. यानी नकली-असली के लिए किसान पूर्ण रूप से विभाग के अफसरों पर निर्भर हैं और अफसर भी पटना लैब के उपर आश्रित हैं. क्योंकि, जिले में जो उर्वरक लाइसेंसी दुकानों पर बिकते हैं, उन्हें प्रशासन की देखरेख में ही दिया जाता है. उसमें नकली होगा, तो पहचान मुश्किल है. अगर बाहर से नकली उर्वरक आता है, तो उसके लिए विभाग के अधिकारी ही सक्षम हैं. ऐसे में सतर्कता जरूरी है. असली-नकली उर्वरक की कैसे करें पहचान नकली उर्वरक की पहचान के लिए किसान कुछ आसान तरीकों का उपयोग कर सकते हैं. असली उर्वरक की बनावट, रंग, गंध और घुलनशीलता नकली उर्वरक से अलग होती है. इसके अलावा, कुछ परीक्षण करके भी नकली उर्वरक की पहचान की जा सकती है. बनावट : असली उर्वरक की आमतौर पर एक समान बनावट होती है. जबकि, नकली उर्वरक में असामान्य बनावट, असामान्य रंग या अत्यधिक धूल हो सकती है. गंध : असली उर्वरकों में एक विशिष्ट गंध होती है, जबकि नकली उर्वरकों में तेज या असामान्य गंध हो सकती है. घुलनशीलता : असली उर्वरक को पानी में आसानी से घुल जाना चाहिए. जबकि नकली उर्वरक धीरे-धीरे घुलता है. पानी में मिश्रित होने पर असामान्य प्रतिक्रिया कर सकता है. चूना परीक्षण : जिन उर्वरकों में अमोनियम के रूप में नाइट्रोजन होता है, उन्हें चूने के साथ रगड़ने पर तीखी गंध आती है. यदि तीखी गंध नहीं आती है, तो उर्वरक नकली हो सकता है. ताप परीक्षण : डीएपी जैसे कुछ उर्वरक गर्म करने पर फूल जाते हैं, जबकि नकली उर्वरक फूलता नहीं है. 23507 मीट्रिक टन यूरिया जिले में है उपलब्ध जिले में धान की रोपनी का लक्ष्य 206327 हेक्टेयर रखा गया है. लक्ष्य के विरुद्ध 41143 हेक्टेयर यानी 19 प्रतिशत खेतों में रोपनी कार्य हो चुका है. अगले 10 दिनों में रोपनी का कार्य लगभग पूर्णता की ओर होगा. इसके बाद किसानों को उर्वरकों की जरूरत पड़ेगी. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में 60400 मीट्रिक टन यूरिया खाद की जरूरत पड़ेगी, जिसके विरुद्ध वर्तमान में 23507 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है. उपलब्ध यूरिया में से 11223 मीट्रिक टन का लाइसेंसी दुकानदार उठाव कर चुके हैं. वहीं, डीएपी का लक्ष्य 21150 मीट्रिक टन है, जिसके विरुद्ध 5728 मीट्रिक टन ही उपलब्ध हो सका है. ऐसे में यूरिया और डीएपी की उपलब्धता को और बढ़ाने की कवायद करनी होगी. क्या कहते हैं अधिकारी नकली खाद को लेकर पूरा विभाग सतर्क है. खाद का रेक उतरने के साथ ही उसकी जांच की जाती है. जिले भर की दुकानों में उपलब्ध खाद की भी समय-समय पर जांच की जायेगी. नकली-असली खाद की जांच के लिए विभाग के पास किट उपलब्ध है. वर्तमान समय में जिला में लक्ष्य के अनुरूप खाद की उपलब्धता थोड़ी कम है, जिसकी जल्द भरपाई कर दी जायेगी. खाद की कालाबाजारी पर भी नजर रखी जा रही है. – प्रभाकर कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, रोहतास किन प्रखंडों में कितनी हेक्टेयर में हुई रोपनी प्रखंड लक्ष्य कितनी हुई रोपनी अकोढ़ीगोला 6952 255.14 बिक्रमगंज 10708 446 चेनारी 13255 3464 दावथ 7824 401 डेहरी 7523 865 दिनारा 21109 4420 काराकाट 14558 566 करगहर 24823 12550 कोचस 17671 7951 नासरीगंज 6882 42 नौहट्टा 9396 892 नोखा 10790 1069 राजपुर 5039 299 रोहतास 8506 595 संझौली 5152 578 सासाराम 13756 1958 शिवसागर 12059 3154 सूर्यपुरा 4134 312 तिलौथू 6186 1361

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