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शांति और समाधान को प्राप्त करने का सहज माध्यम है मन : श्रीजीयर स्वामी जी महाराज

SASARAM NEWS.दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए शांति और समाधान का मार्गदर्शन दिया. कहा कि आज सब कुछ होने के बाद भी लोगों के मन में शांति नहीं है. शांति की खोज करने के लिए कई प्रकार के उपाय कर रहे हैं.

प्रतिनिधि, सूर्यपुरा

दावथ प्रखंड अंतर्गत परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए शांति और समाधान का मार्गदर्शन दिया. कहा कि आज सब कुछ होने के बाद भी लोगों के मन में शांति नहीं है. शांति की खोज करने के लिए कई प्रकार के उपाय कर रहे हैं. धन, यश, कीर्ति, प्रतिष्ठा, पद, समाज में उचित सम्मान प्राप्त करने वाले व्यक्ति के पास भी शांति नहीं है. घर में सब कुछ होने के बाद भी मन विचलित है. रात में नींद नहीं लग रहा है.लोग तनाव से ग्रसित हैं. शांति और समाधान को प्राप्त करने का एकमात्र कोई माध्यम है, तो हमारा मन है. हम चाहे तीर्थ, व्रत, पूजा, पाठ, शास्त्र, धर्म, संत दर्शन आदि सब कुछ करें. लेकिन, जब तक हम अपने भीतर अपने मन, बुद्धि, विवेक, विचार, चित को स्थिर करके समाधान ढूंढेंगे, तो हमारे मन के अंदर ही हमें शांति और समाधान की प्राप्ति हो सकती है. हर व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं होती है. लेकिन, उन समस्याओं का समाधान भी उस व्यक्ति के शरीर के अंदर ही मौजूद है. बस उन समाधान को ढूंढने के लिए हमें अपना मन एकाग्रचित करना होगा. संत, महात्मा, वेद, शास्त्र, मंदिर इत्यादि के माध्यम से हम केवल अपने मन को एकाग्रचित करने का माध्यम बना सकते हैं. लेकिन, संपूर्ण शांति और समाधान प्राप्त करने के लिए हमें अपने मन बुद्धि और विचार के साथ विवेक का भी उपयोग करना होगा. तभी हमें शांति और समाधान मिल पायेगा. भगवान के 24 अवतार की कथा के माध्यम से स्वामी जी ने भगवान के 17वें अवतार व्यास जी के कथा पर प्रकाश डाला. व्यास जी का जन्म पराशर ऋषि और सत्यवती से हुआ था. कहा कि व्यासजी का जन्म ही मानव के कल्याण के लिए इतिहास, पुराण, वेद, उपनिषद इत्यादि की रचना के लिए हुआ था. व्यासजी ने कई इतिहास, पुराण, वेद इत्यादि की रचना की. लेकिन, उनके मन को शांति नहीं मिली. 17 पुराण की रचना करने के बाद भी व्यास जी को जब शांति नहीं मिल रही थी, तब वहीं भगवान विष्णु के तीसरे अवतार नारद जी ने व्यास जी को मार्गदर्शन दिया गया. नारद ने कहा व्यास जी आप एक ऐसे ग्रंथ की रचना कीजिए ,जिससे समाज में लोगों के बीच जो भ्रम की स्थिति बनी हुई है, उसको खत्म किया जा सके. तब व्यास जी एक नए ग्रंथ श्रीमद्भागवत के रूप में लिखकर के समाज के लोगों के लिए सही मार्गदर्शन देने का काम किया. वहीं श्रीमद् भागवत महापुराण से आज हम सभी मानव का कल्याण भी संभव हैं.श्रीमद् भागवत महापुराण सभी पुराणों का सबसे बड़ा अमृत है. मानव जीवन जीने की मर्यादा वैदिक परंपरा के अनुसार श्रीमद् भागवत में भगवान व्यास जी ने हम सभी मानवों को बताया है.जिसके अनुसार हमें आज अपने जीवन दिनचर्या को निर्धारित करना चाहिए. श्रीमद् भागवत हमें यह संदेश देता है कि हम मानव के लिए सत्य, अहिंसा, समाज में समरसता, त्याग, समर्पण, भक्ति, वैराग, शुद्ध भोजन के साथ भगवान का निरंतर स्मरण ही मोक्ष की प्राप्ति का सबसे बड़ा साधन है.

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