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खजाने में पड़ा रह गया पैसा, शिविर में न पानी बंटा, न ही बिस्कुट

Sasaram news. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना विशेष विकास शिविर जिले के महादलित टोलों में लग रहा है. इसके लिए सरकार ने एक बड़ी राशि मुहैया करायी है.

पखनारी महादलित टोले में आयोजित विशेष विकास शिविर का हाल अफसरों को टोला के लोगों ने पिलाया पानी कुर्सी का इंतजाम वार्ड सदस्य ने किया, तो टेंट था नदारद परेशान लाभार्थी खोज रहे थे योजना की सूची में नाम फोटो-5- विशेष विकास शिविर में बैठे अधिकारी और खड़े लोग. प्रतिनिधि, शिवसागर. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना विशेष विकास शिविर जिले के महादलित टोलों में लग रहा है. इसके लिए सरकार ने एक बड़ी राशि मुहैया करायी है. टेंट लगाकर शिविर का आयोजन करना है, जिसमें 22 योजनाओं के लाभार्थियों के लिए बिस्कुट-पानी का भी इंतजाम करना है. पर, अधिकतर शिविरों में सुविधाएं नदारद रह रही हैं. गत दिनों इसी विषय पर जिला कल्याण पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार ने कहा था कि शिविरों में सुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी संबंधित बीडीओ की है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो उनके विरुद्ध जांच कर कार्रवाई होगी. लेकिन, ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. बुधवार को जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर शिवसागर प्रखंड के पखनारी गांव स्थित महादलित टोले में शिविर लगा. शायद टेंट की जरूरत सामुदायिक भवन ने पूरी कर दी. लेकिन, शिविर में आये लोगों और अफसरों के लिए पानी और बिस्किट तक की व्यवस्था नहीं की गयी थी. तभी तो इन सुविधाओं के बारे में पूछने पर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी मुकेश कुमार ने अपने समीप बैठी प्रखंड कल्याण पदाधिकारी (बीडब्ल्यूओ) अनामिका कुमारी से बिस्किट-पानी के इंतजाम के बारे में पूछा. इस पर बीडब्ल्यूओ ने कहा कि बिस्किट-पानी का इंतजाम करना बीडीओ की जिम्मेवारी है. हमे तो खुद वार्ड सदस्य ने पानी पिलाया है. शिविर में इन दो अफसरों की आपसी बात और लोगों को नहीं मिली सुविधा बताती है कि राशि आवंटन के बावजूद शिविरों में लोगों व अफसरों को सुविधा नहीं दी जा रही है. तो, फिर उन रुपये का क्या होगा? यह तो अधिकतर लोग जानते हैं. खैर हम बात करें शिविर की, तो शिविर में सबसे अधिक जन्म प्रमाणपत्र के लिए टोले के लोग आये थे. करीब 13 को जन्म प्रमाणपत्र दिया गया और करीब 14 लोगों ने जन्म प्रमाणपत्र के लिए आवेदन दिया. आधार की समस्या को लेकर बड़ी संख्या में लोग परेशान दिखे. तो, अन्य योजनाओं के बारे में अधिकांश को या तो जानकारी नहीं थी या फिर उन्हें लाभ मिल चुका है. इसकी जानकारी शिविर में बैठे पदाधिकारी भी नहीं दे सके.

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