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भगवान शिव को पति बनाने के लिए माता पार्वती ने की थी कठोर तपस्या

Sasaram news. डालमियानगर के रतु बिगहा मुहल्ला स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में चल रहे 40 दिवसीय हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ में 28वें दिन प्रयागधाम से पधारी मानस मंदाकिनी सावित्री शास्त्री ने अपने प्रवचन में माता सती के बारे में विस्तारपूर्वक बताया.

लक्ष्मी नारायण मंदिर में चल रहा है 40 दिवसीय 41वां हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ फोटो-28-ज्ञान यज्ञ में प्रवचन करतीं मानस मंदाकिनी सावित्री शास्त्री. प्रतिनिधि, डेहरी डालमियानगर के रतु बिगहा मुहल्ला स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में चल रहे 40 दिवसीय हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ में 28वें दिन प्रयागधाम से पधारी मानस मंदाकिनी सावित्री शास्त्री ने अपने प्रवचन में माता सती के बारे में विस्तारपूर्वक बताया. उन्होंने माता सती का शरीर त्याग, उनका पार्वती के रूप में हिमाचल के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेना, भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या और पार्वती शिव विवाह का बड़ा ही रोचक प्रसंग सुनाया. सरल शब्दों में उस रोचक प्रसंग को सुन कर भक्त भावविभोर हो गये. उन्होंने उक्त प्रसंग का जिक्र करते हुए बताया कि सती मां बिना आदेश के पिता के घर गयी और यज्ञ कुंड में कूदकर देह त्याग दिया. खुद को अग्नि को समर्पित करने वाली माता सती के देह त्यागने की खबर जब भगवान शिव को मिली, तो वह बहुत क्रोधित हो गये. वह माता सती के मृत शरीर को लेकर धरती आकाश में तांडव करने लगे. माता सती के अंग पृथ्वी पर जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ की स्थापना की गयी है. बाद में उन्हीं का जन्म पुनः पार्वती के रूप में राजा हिमाचल के यहां हुआ. शिवानुरागी होने के कारण शिव को पति के रूप में पाने के लिए पार्वती ने कठोर तप किया. दृढ़ संकल्प और कठोर आत्म नियंत्रण से लक्ष्य के प्रति समर्पित होने के कारण ही माता पार्वती शिव को पाने में सफल रहीं. अपने प्रवचन के दौरान मानस मंदाकिनी ने यह भी कहा कि कथा जीवन की व्यथा को समाप्त करती है. कथा दुआ देती है, जीवन की दिशा व दशा को भी बदलती है. जिस प्रकार जीने के लिए हवा चाहिए, पीने के लिए जल चाहिए, उसी प्रकार जीवन जीने के लिए कथा बहुत आवश्यक है. जहां कथा नहीं होगी, वहां रावण, कंस, दुर्योधन पैदा होंगे. इसलिए जामवंत जी ने हनुमान जी से कहा कि कथा का प्रचार करो, यही सनातनी का प्रमुख उद्देश्य है. प्रवचन के दौरान प्रफुल्ल कुमार सिंह, केशवर सिंह, कथावाचक विद्यासागर शास्त्री, मीडिया प्रभारी अरुण कुमार सिंह, नरेंद्र सिंह, शिवपूजन पाठक, बलराम पांडेय, गोपाल अंबेडकर, उर्मिला वर्मा, शांति देवी आदि भक्त उपस्थित थे.

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