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Sasaram News : दिलीप गोसाई की बेटी की शिक्षा से शादी तक की जिम्मेदारी उठायेंगे भाजपा नेता

बिक्रमगंज अनुमंडल अंतर्गत काराकाट प्रखंड के अमरथा गांव निवासी दिलीप गोसाई की तेलंगाना स्थित केमिकल फैक्ट्री में हुई मौत के बाद उनके श्राद्ध कार्यक्रम में एक मसीहा के रूप में शामिल हुए भाजपा नेता डॉ बलिराम मिश्रा

बिक्रमगंज. बिक्रमगंज अनुमंडल अंतर्गत काराकाट प्रखंड के अमरथा गांव निवासी दिलीप गोसाई की तेलंगाना स्थित केमिकल फैक्ट्री में हुई मौत के बाद उनके श्राद्ध कार्यक्रम में एक मसीहा के रूप में शामिल हुए भाजपा नेता डॉ बलिराम मिश्रा. उन्होंने मृतक दिलीप गोसाई के श्राद्धकर्म में परिवार और ग्रामीण के बीच उनकी बेटी रुचि की उच्च शिक्षा के साथ शादी की जिम्मेदारी उठाने का ऐलान किया. इससे वहां मौजूद लोगों ने बलिराम मिश्रा के इस घोषणा का ना सिर्फ स्वागत किया, बल्कि जय जयकार भी की. बता दें कि हाल ही में तेलंगाना की एक फैक्ट्री में हुए हादसे में दिलीप गोसाई की मृत्यु हो गयी थी. इस हादसे ने न सिर्फ गांव को स्तब्ध कर दिया, बल्कि उनके परिवार को भी गहरे दुख में डूबो दिया. दिलीप अपने पीछे पत्नी और एक बेटी रुचि को छोड़ गये हैं, जिसकी उम्र अभी महज कुछ सालों की है. ऐसे कठिन समय में बिक्रमगंज के वरिष्ठ समाजसेवी और शिक्षाविद डॉ बलिराम मिश्रा परिवार के लिए एक मजबूत सहारा बनकर सामने आये हैं. शुक्रवार को डॉ मिश्रा दिवंगत दिलीप गोसाई के घर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इसी दौरान उन्होंने गांववासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में एक भावपूर्ण निर्णय की घोषणा की. डॉ मिश्रा ने कहा “यह केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक बेटी के भविष्य की जिम्मेदारी का संकल्प है. उस मासूम बच्ची को अब जीवन की किसी भी जरूरी चीज के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है. उसकी शिक्षा, परवरिश, सुरक्षा और सामाजिक सम्मान अब मेरी जिम्मेदारी है. इस दौरान गांव में गहरी संवेदना का माहौल था. मौके पर वार्ड सदस्य सुरेश माली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक विभास, समाजसेवी अनिल, ग्रामीण नेता कन्हैया गोसाई, तारकेश्वर तिवारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे. सबों ने डॉ मिश्रा की इस पहल की सराहना की और कहा कि यह एक मिसाल है, जो समाज को दिखाता है कि संवेदना और सहयोग आज भी जिंदा है. इस मौके पर मृतक दिलीप गोसाई की पत्नी ने नम आंखों से कहा “हमारे लिए यह भरोसा और हिम्मत का पल है. बच्ची की जिंदगी को लेकर जो चिंता थी, अब उसमें आश्वस्ति मिली है. ग्रामीणों का मानना है कि यह पहल न सिर्फ उस परिवार के लिए एक नयी शुरुआत है, बल्कि समाज के लिए यह एक प्रेरणा भी है कि कठिन वक्त में साथ देना ही असली मानवता है.

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