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बिहार: बदल जाएगा पटना यूनिवर्सिटी का ये इतिहास, पूर्व चांसलर की जगह अब जेपी के नाम से जाना जाएगा

राजभवन से प्राप्त पत्र के बाद पटना यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट की एक आपात बैठक बुलायी गयी. इसमें सभी सदस्यों ने राजभवन से निर्देशित व्हीलर सीनेट हाउस का नाम बदल कर जयप्रकाश नारायण अनुषद भवन करने की सहमति दी.

बिहार के ऐतिहासिक पटना यूनिवर्सिटी के व्हीलर सीनेट हाउस का नाम अब बदल गया है. अब यह लोकनायक जय प्रकाश नारायण अनुषद भवन के नाम से जाना जायेगा. इसकी सहमति सोमवार को बन गयी. नाम परिवर्तन का फैसला एकेडमिक काउंसिल व सिंडिकेट की बैठक में सर्वसहमति से पास कर दिया गया है. अब इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

राजभवन से निर्देशित नाम को सर्वसम्मति से सिंडिकेट ने किया पास

राजभवन से प्राप्त पत्र के बाद सिंडिकेट की एक आपात बैठक बुलायी गयी. इसमें सभी सदस्यों ने राजभवन से निर्देशित नाम को सर्वसम्मति से सहमति प्रदान कर दी. कुलपति प्रो गिरीश कुमार चौधरी की अध्यक्षता में विद्वत परिषद की बैठक में सभी सदस्य मौजूद थे. मौके पर प्रतिकुलपति डॉ अजय कुमार सिंह, डीएसडब्ल्यू प्रो अनिल कुमार, पटना वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या डॉ सिस्टर एम रश्मि, पटना साइंस कॉलेज के प्राचार्य प्रो आरके मंडल, डॉ नीतीश कुमार टनटन, पप्पू वर्मा, नवीन कुमार आर्य आदि मौजूद थे. सभी सदस्यों ने कहा कि राजभवन की पहल सराहनीय है.

व्हीलर सीनेट हॉल अब इतिहास के पन्नों में

व्हीलर सीनेट हॉल का निर्माण सम्मेलनों, परीक्षाओं, विश्वविद्यालय की बैठकों और अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों को आयोजित करने की दृष्टि से किया गया था. सीनेट हॉल का उद्घाटन मार्च 1926 में पूरा हुआ. 1925 में इसका निर्माण शुरू हुआ था. निर्माण की पूरी लागत लगभग 1.75 लाख रुपये मुंगेर के राजा देवकी नंदन प्रसाद सिंह द्वारा वहन की गयी थी. उस समय पीयू के कुलपति पहले हिंदुस्तानी सर सैयद सुल्तान अहमद थे. कुलपति के खास मित्र राजा देवकी नंदन प्रसाद सिंह थे. अपने दोस्त के कहने पर राजा देवकी नंदन से सीनेट हॉल के निर्माण के लिए राशि दी थी.

चांसलर सर हेनरी व्हीलर ने हाल का किया था उद्घाटन

सीनेट हॉल को किसी और ने नहीं बल्कि बिहार और उड़ीसा प्रांत के तत्कालीन राज्यपाल और विश्वविद्यालय के चांसलर सर हेनरी व्हीलर ने उद्घाटन किया. इसी कारण इस हॉल का नाम व्हीलर सीनेट हॉल हुआ. इसका डिजाइन ब्रिटिश इंजीनियर कप्तान जॉन गार्स्टिन ने तैयार किया था. एक हजार बैठने की क्षमता इस हॉल में है. वहीं इसके निर्माण से पहले पीयू में बैठ, दीक्षांत समारोह इत्यादि के लिए उचित सुविधाओ की कमी थी.

कई महान हस्तियों ने इस हॉल में दिया है भाषण

विश्वविद्यालय के इतिहास में एक ऐसा भी वक्त था जब छात्रों और संकाय सदस्यों को जगदीश चंद्र बोस, सर सीवी रमन, सत्येन्द्र नाथ बोस जैसे महान वैज्ञानिकों ने संबोधित किया था. इनके संबोधन के दौरान हॉल में बैठे लोग मंत्रमुगड़ हो जाया करते थे. इसी हॉल में देश के महान कवि रवींद्र नाथ टैगोरे को भी 1936 में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद सम्मानित किया गया था.

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राजभवन ने ही नाम का प्रस्ताव भेजा विवि को

बता दें कि व्हीलर सीनेट हाउस के आधुनिकीकरण का लोकार्पण पांच सितंबर को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संयुक्त रूप से किया था. विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों को सम्मानित करने के बाद मुख्यमंत्री ने इससे जुड़े अनुभव को साझा करते हुए कहा था कि जयप्रकाश नारायण ने इसी हॉल से आंदाेलन का शंखनाद किया था. एक साल पढ़ाई बाधित कर देश के लिए देने के लिए छात्रों को प्रेरित किये थे. उनके आह्वान पर बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने पढ़ाई के बजाय आंदोलन में योगदान का निर्णय लिया था.

मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने कहा था…

मुख्यमंत्री ने कहा था कि जेपी के आह्वान पर वह कॉलेजों और विभागों में घूम-घूमकर उनके संदेश पहुंचा रहे थे. वहीं, राज्यपाल ने कहा था कि इस ऐतिहासिक भवन का नाम व्हीलर सीनेट हाउस होना औपनिवेशिक शासन की याद दिलाता है. इस सभा भवन में 1936 में गुरु रबींद्र नाथ टैगोर आये थे. राज्यपाल ने उन्हीं का नाम इस सभा भवन को देने का प्रस्ताव विश्वविद्यालय को देने को कहा था, लेकिन, पांच सितंबर की शाम ही राजभवन से इसका नाम जयप्रकाश नारायण अनुषद भवन करने का निर्देश विश्वविद्यालय का प्राप्त हुआ. राजभवन के पत्र के आलोक सोमवार को आपात सिंडिकेट की बैठक बुलाकर नामांकरण का प्रस्ताव राजभवन भेज दिया गया.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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