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हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध आलोचक निर्मला जैन का निधन,साहित्य जगत में शोक

Nirmala Jain passed away : निर्मला जैन का जन्म 28 अक्टूबर 1932 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने दिल्ली में ही शिक्षा पूरी की .निर्मला जैन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए, पीएचडी और डीलिट् की उपाधियां प्राप्त की थीं. अध्यापन के क्षेत्र में निर्मला की पहली नियुक्ति लेडी श्रीराम कॉलेज में हुई थी, उसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया था.

Nirmala Jain passed away : हिंदी साहित्य की प्रमुख आलोचक और लेखिका निर्मला जैन का 15 अप्रैल की सुबह निधन हो गया. उनके निधन से संपूर्ण साहित्य जगत में शोक है और प्रशंसक उनकी कृतियों को याद कर रहे हैं. निर्मला जैन की आत्मकथा ‘जमाने में हम’ उनकी काफी चर्चित रचना है. उनके निधन पर साहित्य अकादमी ने भी शोक व्यक्त किया है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में शोक सभा आयोजित

निर्मला जैन की याद दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एक शोक सभा आयोजित की गई. इस शोक सभा में हिंदी विभाग की वर्तमान अध्यक्ष प्रो सुधा सिंह ने प्रो निर्मला जैन को याद करते हुए उनके साथ बिताए अपने कुछ अनुभवों को साझा किया. उन्होंने कहा कि प्रो निर्मला जैन आत्मीयता की साक्षात मूर्ति थीं. यह न सिर्फ उनके व्यक्तित्व बल्कि उनके कृतित्व से भी साक्षात झलकता है. प्रो जैन के पास अनेक गंभीर विषयों का अनुभव और पुरानी स्मृतियों का एक पूरा खजाना था. उनका जाना न सिर्फ दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के लिए बल्कि संपूर्ण साहित्य जगत , हिंदी आलोचना के लिए अपूरणीय क्षति है. सभा के अंत में प्रो निर्मला जैन को याद करते हुए दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की.

निर्मला जैन का जन्म 28 अक्टूबर 1932 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने दिल्ली में ही शिक्षा पूरी की .निर्मला जैन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए, पीएचडी और डीलिट् की उपाधियां प्राप्त की थीं. अध्यापन के क्षेत्र में निर्मला की पहली नियुक्ति लेडी श्रीराम कॉलेज में हुई थी, उसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया था.उन्होंने कई रचनाओं का अनुवाद भी किया था. उनकी आत्मकथा जमाने में हम काफी चर्चित है.

प्रमुख कृतियां (आलोचना)

आधुनिक हिंदी काव्य में रूप-विधाएं
रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र
आधुनिक साहित्य : मूल्य और मूल्यांकन
हिंदी आलोचना की बीसवीं सदी
आधुनिक हिंदी काव्य : रूप और संरचना


अनुवाद
उदात्त के विषय में
बंगला साहित्य का इतिहास
समाजवादी साहित्य : विकास की समस्याएं
साहित्य का समाजशास्त्रीय चिंतन
भारत की खोज

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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