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जगरनाथ महतो स्मृति शेष : ‘नेतवा’ अब नहीं रहा, सूनी हो गयीं गांव की गलियां…

अपने लाल जगरनाथ महतो के निधन से बोकारो, गिरिडीह, धनबाद समेत संपूर्ण झारखंड मर्माहत है. लोग उन्हें तरह-तरह से याद कर रहे हैं. जनता के सवालों पर सड़क से लेकर सदन तक लड़ने की उनकी प्रवृत्ति ने उन्हें हरदिल अजीज बना दिया था.

फुसरो नगर (बोकारो), उदय गिरि : बोकारो जिला अंतर्गत अलारगो गांव के सिमराकुल्ही की वह गली, जहां मंत्री जगरनाथ महतो का आवास है, आज बिल्कुल सूनी थी. गांव के लोग अपने-अपने दरवाजे के बाहर ही बैठे थे. लोगों को खबर लग चुकी थी कि अब उनका ‘नेतवा’ नहीं रहा. इस क्षेत्र के दर्जनों गांवों की महिला और बुजुर्ग मंत्री जगरनाथ महतो को शुरुआती दौर से नेतवा ही बोलते थे. सिर्फ घर के अंदर से रुक-रुक कर स्वर्गीय जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी समेत पूरे परिजन की रोने की आवाज आ रही थी. देखते ही देखते गांव में लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी. घर के बाहर मंत्री के टोले सिमराकुल्ही ही नहीं, बल्कि आसपास के सभी गांवों में दिन भर मातमी सन्नाटा पसरा रहा. गांव के लोग इस बात को लेकर दुखी दिखे कि उन्होंने एक नेता नहीं, बल्कि इस क्षेत्र के गार्जियन को खो दिया है. किसी भी तरह की जरूरत पड़ने पर लोग सीधे उन्हें फोन लगा देते थे. भंडारीदह स्थित आवासीय कार्यालय व कॉलोनी में भी सन्नाटा पसरा था. कई लोग पहुंचे, लेकिन यहां से लौट गये. मंत्री जगरनाथ महतो बीमार रहकर भी क्षेत्र के लोगों के बीच हमेशा बने रहे.

जनता के साथ जीये हैं, जनता के बीच मरेंगे

मंत्री से मिलने वाले हर कोई यही सलाह देते रहे कि अब वे आराम करें, ज्यादा भागदौड़ ना करें. लेकिन मंत्री अक्सर कहा करते थे कि जिस प्रकार गोबर के कीड़े को गोबर से बाहर कर देने से वह मर जाता है, वैसे ही अगर हमें भी लोगों के बीच से हटा दिया जाए तो हम जीवित नहीं रह सकते. जनता के साथ जीये हैं, जनता के बीच मरेंगे. मरना तो सब को एक-ना-एक दिन है.

मंत्री के साथ थे पुत्र व भतीजा

चेन्नई में मंत्री के साथ उनके पुत्र अखिलेश महतो व भतीजा दिवाकर महतो के अलावा कुक रघु महतो भी अस्पताल में लगातार साथ रह रहे थे. पांच अप्रैल को जगरनाथ महतो की तबीयत बेहद खराब हो गयी. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, जहां से वापस नहीं लौटे. छह अप्रैल की सुबह निधन की सूचना मिली. पिछले दो दिनों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार उनके पुत्र के संपर्क में थे. घटना के तुरंत बाद सीएम को सूचना दी गयी.

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डीसी, एसपी, डीडीसी व एसडीपीओ व एसडीएम पहुंचे

जगरनाथ के निधन की खबर के बाद मंत्री के आवास बोकारो डीसी, एसपी, डीडीसी, बेरमो एसडीएम, एसडीपीओ, चंद्रपुरा सीओ, नावाडीह सीओ, चंद्रपुरा व नावाडीह बीडीओ समेत कई थाना प्रभारी भी पहुंचे.

काल बना कोरोना, भाई का भी छूटा साथ

28 सितंबर 2020 को मंत्री कोरोना से संक्रमित हुए थे. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो अपनी बीमारी से ठीक से उबर भी नहीं पाये थे कि इसी बीच छह मई 2021 को उनके छोटे भाई वासुदेव महतो का कोरोना से निधन हो गया था. भाई के निधन पर भी मंत्री घर नहीं आ सके थे.

राजनीति से पहले और बाद भी हमेशा संघर्षों से जूझते रहे

मंत्री जगरनाथ महतो का जीवन हमेशा संघर्षों से जूझते बीता. मंत्री बनने के तुरंत बाद कोरोना से ग्रसित हो गये. फिर अस्पताल व इलाज के बीच जूझते रहे. विधायक रहते भी अक्सर अपने ऊपर दर्ज मामलों व किये जाने वाले आंदोलनों के कारण केस लड़ते रहे, जेल भी गये. चार भाई व एक बहन में सबसे बड़े थे जगरनाथ महतो. पिता नेमनारायण महतो रेलवे में चतुर्थवर्गीय कर्मी थे. तब पिता की तनख्वाह भी काफी कम थी. घर की पूरी जिम्मेवारी पिता के बाद कंधे घर के बड़े बेटे पर थी. ऐसे वक्त में खेती-बाड़ी ही एकमात्र सहारा था. राजनीति से तब इनका कोई रिश्ता नही था. एक शर्ट व लुंगी पहने अक्सर गांव में कृषि कार्य करते मिलते थे. होश संभालते ही संघर्ष भरा जीवन मिला, जिसे संघर्ष को ही इन्होंने अपना हथियार बना लिया.

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Prabhat Khabar News Desk
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