Rath Yatra 2025 | बेरमो, राकेश वर्मा: बोकारो के बेरमो में भगवान जगन्नाथ की अनोखी रथयात्रा निकलती है. बेरमो चार नंबर रथ मंदिर में 27 जून को होने वाले भगवान जगन्नाथ महाप्रभु की रथ यात्रा से एक दिन पहले 26 जून को नेत्र उत्सव का आयोजन किया गया. यहां रथयात्रा के एक दिन बाद प्रभु मौसीबाड़ी पहुंचते हैं. रथयात्रा के दिन रथ को केवल चार कदम खींचकर मंदिर में ही खड़ा कर दिया जाता है.
28 जून को निकाली जाएगी रथयात्रा
आज भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होंगे. इस दिन रथ को चार कदम खींचकर मंदिर परिसर में ही खड़ा किया जाएगा, जहां मेला का आयोजन किया जाएगा. इसके बाद 28 जून को प्रभु की रथयात्रा निकलेगी. 28 जून को भगवान की रथ यात्रा निकाली जाएगी, जो जरीडीह बाजार के गायत्री ज्ञान मंदिर स्थित मौसीबाड़ी तक जाएगी. यहां भगवान 8 दिनों तक विश्राम करेंगे.
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दस दिनों तक बंद रहता है मांसाहार
वहीं, रथ पूजा के समय चार नंबर इलाके में सभी लोग दस दिनों तक मांस,मछली व शराब का सेवन नहीं करते हैं. उत्कल समाज के लोग पूजा के दौरान सात्विक भोजन में मूंग की दाल और अरवा चावल खाते हैं. रथ पूजा के दिन उत्कल समाज से जुडे़ हर घर में अडसन पीठा तथा चावल व गुड का खीर जरुर बनती है. रथ द्वितीया के दिन पूजा के बाद रथ मंदिर में जबतक भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को भोग नहीं लग जाता है, तब तक लोग उपवास रखते हैं.
सीसीएल की मदद से बना नया रथ
रथ मंदिर कमेटी वर्षों से नये रथ के लिए प्रयासरत थी. तीन वर्ष पूर्व सीसीएल बीएंडके एरिया के सेवानिवृत महाप्रबंधक एम कोटेश्वर राव की पहल पर सीसीएल वेलफेयर मद से दो लाख की लागत से नया रथ बनाकर पिछले साल कमेटी को सौंपा गया.
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तीसरी बार लाल ग्राउंड से निकलेगी रथयात्रा
बेरमो चार नंबर रथ मंदिर में वर्ष 1954 से रथयात्रा की शुरुआत हुई. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण दो साल रथ यात्रा नहीं निकाली गयी थी. कोरोना खत्म होने के बाद भी यहां से संडे बाजार मौसी बाड़ी तक रथयात्रा नहीं निकालने का निर्णय मंदिर कमेटी ने लिया. इसके बाद चार नंबर के ही लाल मैदान से सटे उत्कल समाज के लोगों ने अलग से बैठक कर तीन साल पहले इसी स्थान से रथयात्रा निकालने का निर्णय लिया. इस बार तीसरी बार यहां से रथ यात्रा निकलेगी.
कैसे हुई रथयात्रा की शुरुआत

मालूम हो कि सीसीएल बीएंडके एरिया के 100 साल से ज्यादा पुरानी बोकारो कोलियरी के आसपास में पहले हजारों की संख्या में छत्तीसगढ़िया, उत्कल समाज (उडिया) के अलावा चक्रधारी समाज के लोग रहा करते थे. उत्कल समाज के कई लोग वर्ष 1939 के आसपास में ओडिशा से टाटा होते हुए यहां आकर बसे. ऐसे लोगों में बृज मोहन दास, बरजो सेनापति, ओके टांडी, नारायण बारिक, घुतुम तांती, जगदीश तांती, वनमाली भोई, दुर्गा दास, महावीर गोप, पीतरो सेनापति, त्रिवृक्ष नाग, सुरलीधर कलपाली, विशेश्वर जाल, ढिबरु लाल शर्मा, सिरबच तांती. रामचंद्र तांती,रामजी तातंती, जगदीश तांती, मुन्नु तांती सहित कई लोग थे. इन लोगों ने ही चार नंबर रथ मंदिर में पूजा शुरु करायी थी.
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ओडिशा से लायी थी जगन्नाथ स्वामी की मूर्ति
बताया गया कि ओडिशा के बंलागीर, तालपाली, बरपाली, बडग़ड, संबलपुर आदि क्षेत्रों से लोग 40 के दशक में आकर चार नंबर इलाके में बसे. बृज मोहन दास अपने साथ ओडिशा के पुरी से भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लेकर आये थे तथा चार नंबर स्थित अपने आवास में इसकी विधिवत पूजा शुरु की. बाद में पुरी से ही भगवान बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा लायी गयी. मंदिर कमेटी से जुडे़ लोग बताते है कि हमारी संस्कृति,भाषा व सामाजिक समरसता का तानाबाना इस मंदिर से शुरू से जुड़ा रहा है. इस मंदिर की स्थापना से पहले उत्कल समाज के लोग हर साल अपने पैतृक गांव जाकर पूजा करते थे.
रथ पर विराजमान होंगे तीनों विग्रह
जानकारी के अनुसार, चार नंबर लाल ग्राउंड के समीप उत्कल समाज पूजा समिति द्वारा तीसरी बार रथ यात्रा मेला एवं पूजन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. यहां भी 26 जून को प्रातः हनुमान गरुड़ पूजा सहित कई अनुष्ठान के बाद रथ की पूजा हुई. 27 जून को हवन, भोग, आरती कर भगवान जगन्नाथ महाप्रभु, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होंगे और 28 जून को रथयात्रा संडे बाजार मौसी बाड़ी के लिए प्रस्थान करेगी. यहां पूजा को सफल बनाने में अध्यक्ष वरुण तांती, हेमंत ताती, दीप्ति राय, कुलेश्वर तांती, वासुदेव सेनापति, मनोज सेनापति, मुकेश सेनापति, तीजा सेनापति सहित कई लोग लगे हुए हैं.
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पूजा को सफल बनाने में लगे लोग
इधर, पूजा को सफल बनाने में मंदिर कमेटी के करुणाकर तांती, अध्यक्ष भगत बारिक, उपाध्यक्ष जगदीश महानंद, सचिव परमानंद तांती, कोषाध्यक्ष बलिराम तांती, उप कोषाध्यक्ष चमन तांती, प्रताप तांती, महेंद्र तांती, बादल तांती, दीपक तांती, दीपक कोहली, राजू बागरा, जगत तांती, अरतुत तांती, सत्येंद्र , मधु तांती, मनीष गोप, महावीर तांती, निमित बागरा, शरद तांती, कैलाश तांती, नरेश तांती, गुप्ता गिरी, तेलुगु तांती, राजेंद्र तांती प्रशांत तांती महेंद्र तांती सहित कई लोग सक्रिय रुप से लगे हुए है.
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