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Prabhat Khabar Speical: बिजली के अवैध कनेक्शन से रोशन हो रहा बोकारो का सदर हॉस्पिटल, नहीं ले रहा कोई सुध

बोकारो का सदर अस्पताल पिछले नौ साल से अवैध कनेक्शन से रोशन हो रहा है. बिजली विभाग और BSL के बीच तालमेल नहीं होने से लाखों का घाटा हो रहा. लेकिन, इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. हर कोई अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे हैं.

Prabhat Khabar Speical: मरीजों को बेहतर सुविधा देने का दावा करनेवाला बोकारो का सदर अस्पताल पिछले नौ साल से गलत तरीके से बिजली का इस्तेमाल कर रोशन हो रहा है. हैरत तो यह है कि बिजली विभाग और BSL के बीच तालमेल नहीं होने से दोनों को हर साल लाखों रुपये का घाटा हो रहा है.

क्या है मामला

जानकारी के मुताबिक, एक ओर जहां अस्पताल परिसर में झारखंड सरकार का ट्रांसफाॅर्मर तो है, लेकिन कनेक्शन नहीं लिया गया. वहीं, दूसरी ओर बीएसएल द्वारा डीसी ऑफिस के पास लगाये गये ट्रांसफाॅर्मर से टोंका फंसाकर बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे छोटे-बड़े हर उपकरण चलाये जा रहे हैं. हैरत यह है कि इतने वर्षों में कई सीएस और डीएस आये और गये, लेकिन किसी ने कनेक्शन को अवैध से वैध करने की दिशा में कदम नहीं उठाया. इतना ही नहीं,  जिला प्रशासन से लेकर किसी जनप्रतिनिधि ने सवाल तक नहीं उठाया. दूसरी ओर, जब कभी केबल जलता है, तो राज्य सरकार के बिजली विभाग की मदद ली जाती है, लेकिन कनेक्शन देने के बारे में चर्चा तक नहीं की जाती है. वहीं, बीएसएल ने भी कभी इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया.

हर माह 30 हजार का जल जाता है डीजल

जानकारी के मुताबिक, छह करोड़ की लागत से बनाये गये कैंप टू स्थित सदर अस्पताल में वर्ष 2014 से ही गलत तरीके से बिजली का इस्तेमाल हाे रहा है. इससे इतर लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से पांच साल पहले अस्पताल की छत पर सोलर प्लांट लगाया गया. वर्तमान में बैटरी बैकअप (करीब दो घंटे) भी कम हो गया है, जिससे पर्याप्त मात्रा में बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है.  इसके बावजूद सोलर प्लांट की देखरेख नहीं की जाती है. ऐसे में जब कभी समस्या आती है, तो वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर जेनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है. सूत्रों के मुताबिक, हर माह जेनरेटर चलाने पर 30 हजार का रुपये खर्च होता है. 

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बिजली के अभाव में नहीं मिल पाती है सुविधाएं

सदर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर, पैथोलॉजी लैब, अल्ट्रासाउंड सेंटर, ओपीडी और ऑपरेशन थियेटर है. वहीं, सभी तरह की पैथोलॉजिकल जांच, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे भी होता है. हर काम के लिए बिजली की जरूरत होती है, लेकिन बिजली की समस्या के कारण कई बार मरीजों को ये सुविधाएं नहीं मिल पाती है.

चर्चा तक नहीं की जाती

बताया जाता है कि आठ साल पहले बिजली व्यवस्था बहाल करने को लेकर तत्कालीन सीएस डॉ एस मुर्मू ने युद्ध स्तर पर काम कराया. बिजली विभाग पर दबाव बनाकर ट्रांसफाॅर्मर लगाया गया, लेकिन कनेक्शन के नाम पर बिजली विभाग ने चुप्पी साध ली. इसके बाद तत्काल राहत के लिए बीएसएल से कनेक्शन लिया गया, लेकिन बीएसएल ने भी न तो मीटर लगाया और न ही अस्पताल प्रबंधन ने दिलचस्पी दिखायी. जबकि अस्पताल को बेहतर बनाने, दवा एवं उपकरण खरीदने को लेकर अस्पताल प्रबंधन समिति की बैठक होती है. इसमें जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, राजनीतिक दल एवं समाजसेवी शामिल होते हैं, लेकिन कभी भी अवैध कनेक्शन को लेकर चर्चा तक नहीं की गयी.

मुझे नहीं है कोई जानकारी : सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, बिजली विभाग

इस संबंध में बिजली विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डीएन साहू ने इस मामले में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही. साथ ही कहा कि जब से मैं आया हूं, तब से अस्पताल प्रबंधन की ओर से बिजली कनेक्शन के लिए कोई पत्राचार नहीं किया गया है.

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बिजली कनेक्शन कब और किससे लिया गया, इसकी जानकारी नहीं : सिविल सर्जन

वहीं, बोकारो के सिविल सर्जन डॉ एबी प्रसाद ने कहा कि बिजली कनेक्शन कब और किससे लिया गया, इसकी पूरी जानकारी नहीं है. बीएसएल की ओर से भी पत्राचार नहीं किया गया. बीएसएल की ओर से बिजली बिल आयेगा, तो सकारात्मक पहल की जायेगी. सोलर प्लांट के रख-रखाव पर नजर है. मरीजों को परेशानी नहीं हो इस कारण जेनरेटर चलाना पड़ता है.

रिपोर्ट : रंजीत कुमार, बोकारो.

Samir Ranjan
Samir Ranjan
Senior Journalist with more than 20 years of reporting and desk work experience in print, tv and digital media

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