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आंदोलनकारी नेता के रूप में थी टेकलाल महतो की पहचान, 1997 में झारखंड अलग राज्य विधेयक कराया था पारित

टेकलाल महतो साधारण धोती-कुर्ता और कंधे पर हमेशा एक हरा गमछा उनकी पहचान थी. वर्ष 1997 में एकीकृत बिहार विधानसभा में टेकलाल महतो ने ही सर्वप्रथम झारखंड अलग राज्य विधेयक पारित कराया था.

बेरमो, राकेश वर्मा : गिरिडीह के पूर्व सांसद और मांडू से पांच बार विधायक रहे झामुमो नेता स्व. टेकलाल महतो की पहचान पूरे उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र में आंदोलनकारी नेता के रूप में थी. महाजनी प्रथा व धान पेडी की लेवी के खिलाफ चलाये गये आंदोलन के अलावा झारखंड अलग राज्य आंदोलन में उनकी सक्रियता रही. बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर शिवाजी समाज का गठन कर बाल विवाह के अलावा अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जन जागरण अभियान चलाया था. साधारण धोती-कुर्ता और कंधे पर हमेशा एक हरा गमछा उनकी पहचान थी. वर्ष 1997 में एकीकृत बिहार विधानसभा में टेकलाल महतो ने ही सर्वप्रथम झारखंड अलग राज्य विधेयक पारित कराया था. इनके पिता स्व. दौलत महतो साधारण किसान तथा और माता स्व. रेशमी देवी गृहिणी थीं. तीन भाइयों में मंझले टेकलाल महतो का जन्म 15 फरवरी 1945 को हुआ था. रांची से एलएलबी की पढ़ाई की थी.

शिक्षा विभाग में उन्हें नौकरी मिली थी, लेकिन जनसेवा के जुनून के कारण नौकरी छोड़ कर राजनीति में सक्रिय हो गये. 70 के दशक में हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड अंतर्गत खरकी पंचायत के लकमा में महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय ग्रामीण साधु, सैयनाथ व शनिचर महतो की मौत सीआरपीएफ की गोली से हो गयी थी. इस आंदोलन का नेतृत्व टेकलाल महतो कर रहे थे. उन्होंने धान पेडी की लेवी को काला कानून बताया था. इसके तहत किसानों को 10 रुपये क्विटंल की दर से धान सरकार को बेचना था. झारखंड व छोटानागपुर क्षेत्र के किसान इसके खिलाफ गोलबंद हुए. आंदोलन की अगुवाई कर रहे टेकलाल महतो का कहना था कि सिंचाई की सुविधा नहीं है तो लेवी भी नहीं देंगे. इस आंदोलन ने संयुक्त बिहार सरकार को हिला दिया और उसे झुकना पड़ा था. किसानों ने तब नारा लगाया था, मिट्टी का एक लाल टेकलाल-टेकलाल. टेकलाल महतो ने 1964 में हजारीबाग के संत कोलंबा कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी. केंद्रीय कारा हजारीबाग जेल में रहे तथा बेहतर सुविधा की मांग को लेकर जेल में भूख हड़ताल पर बैठ गये थे.

मांडू सीट से लगातार चार बार बने थे विधायक

टेकलाल महतो 1977 व 1980 में मांडू विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े थे, लेकिन पराजित हो गये. इसके बाद वर्ष 1985, 1990, 1995 और 2000 के चुनाव में लगातार चार बार झामुमो के टिकट पर जीत हासिल की. 2009 में पांचवीं बार यहां से विधायक बने. 2005 के चुनाव में टेकलाल महतो के पुत्र रामप्रकाश भाई पटेल मैदान में उतरे थे, लेकिन जदयू के खीरु महतो से पराजित हो गये.

वर्ष 2004 में टेकलाल महतो गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़े और करीब डेढ़ लाख मतों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी रवींद्र कुमार पांडेय को पराजित कर पहली दफा सांसद बने. 27 सितंबर 2011 को टेकलाल महतो के निधन के बाद हुए उप चुनाव में उनके पुत्र जयप्रकाश भाई पटेल कांग्रेस के कुमार महेश सिंह को पराजित कर पहली बार विधायक बने. इसके बाद वे लगातार इस सीट से विधायक हैं. मंत्री भी बने. फिलहाल वह भाजपा में हैं. मांडू विधानसभा क्षेत्र से अभी तक टेकलाल महतो के परिवार का ही ज्यादा राजनीतिक वर्चस्व रहा है. टेकलाल महतो का कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से करीबी संबंध रहा. वे झारखंड विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर भी बने थे.

1991 में हजारीबाग लोकसभा सीट पर निर्दलीय लड़ा था चुनाव

वर्ष 1991 में हजारीबाग लोकसभा सीट से झामुमो ने टिकट नहीं दिया तो टेकलाल महतो निर्दलीय मैदान में उतर गये. हालांकि उन्हें हार मिली थी. लेकिन करीब 63 हजार मत लाये थे. वर्ष 1992 में झामुमो में टूट हुई और टेकलाल महतो, कृष्णा मार्डी व राजकिशोर महतो के नेतृत्व में झामुमो का अलग गुट बना था.

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Nutan kumari
Nutan kumari
Digital and Broadcast Journalist. Having more than 4 years of experience in the field of media industry. Specialist in Hindi Content Writing & Editing.

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