संवाददाता, देवघर : मनरेगा में मजदूरी व मटेरियल मद में नियमित भुगतान नहीं होने से मनरेगा के संचालन पर प्रभाव पड़ रहा है. देवघर में मनरेगा की 20 हजार योजनाएं लंबित हैं. इसमें वित्तीय वर्ष 2021-22, 2022-23 व 2023-24 में 90 फीसदी योजनाएं अधूरी हैं. अधूरी योजनाओं में डोभा, सिंचाई कूप, पशु शेड, मुर्गी शेड, ट्रेंच कटिंग, बागवानी की योजनाएं हैं. देवघर में मनरेगा में 1.10 लाख नियमित मजदूर काम करते हैं. इन मजदूरों को नियमित मजदूरी नहीं मिल रही है. मनरेगा मजदूरों को ढाई महीने का बकाया मजदूरी करीब पांच करोड़ रुपये था, इसमें एक करोड़ रुपये मार्च अंतिम सप्ताह में मजूदरों को मिली, शेष चार करोड़ रुपये बकाया है. पिछले दो वर्षों के आंकड़ों के अनुसार मनरेगा मजदूरों को दो से तीन महीने के गैप में मजदूरी मिल रही है. लंबे समय तक मजदूरी नहीं मिलने से मजदूर मनरेगा में काम करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. मनरेगा का कार्य अधूरा रहने से पूर्व खर्च की गयी राशि भी बर्बाद हो रही है. अधूरी योजना अनुपयोगी साबित हो रहा है. अधिकतर लंबित योजनाएं डोभा व सिंचाई कूप की है. इन योजनाओं के पूरे हो जाने से सिंचाई सहित का लाभ किसानों को मिल पायेगा.
जिन्हें नहीं मिली मजदूरी
प्रखंड मजदूरों की संख्यादेवघर 1600
देवीपुर 1340करौं 1700मधुपुर 2800मारगोमुंडा 1400
मोहनपुर 3500पालाेजोरी 3100सारठ 1812सारवां 1750
सोनारायठाढ़ी 1200डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है