मधुपुर. शहर समेत ग्रामीण इलाकों में हर्षोल्लास के साथ त्याग व बलिदान का पर्व ईद-उल-अजहा शनिवार को मनाया गया. शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न ईदगाहों व मस्जिदों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बकरीद की नमाज अकीदत के साथ अदा की. शहर के नबी बख्श रोड, थाना रोड पीर साहब मस्जिद, मीना बाजार, पनाहकोला, खलासी मोहल्ला, पथरचपटी, हाजी गली, चांदमारी, भेड़वा, लखना, तिलैयाटांड, पटवाबाद, लालगढ़, मदीना समेत कई मस्जिदों में बकरीद की नमाज अता की गयी. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के पाथरोल, बारा, बहादुरपुर, जगदीशपुर, पथरिया, बुढ़ैई, सुग्गा पहाड़ी, बड़ा नारायणपुर, सिंघो, गड़िया, पटवाबाद समेत अन्य जगहों में नमाज के बाद लोगों ने गले मिलकर एक-दूसरे को बकरीद की बधाई दी. ईद-उल-अजहा का महत्व के बारे में बताया जाता है कि हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को सपने में कहा गया कि तुम अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी अल्लाह राह में करो. काफी मन्नतों के बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी. इस दौरान अल्लाह का हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को कुर्बानी देने का फरमान दिया गया. लगातार तीन रात ख्वाब में कहा गया कि अपने सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देनी होगा. हजरत इब्राहिम के सबसे प्यारी चीज उनका पुत्र हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम थे. खुदा के फरमान को पूरा करने के लिए अपने पुत्र इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए बकरीद के दिन हजरत इब्राहीम के कहने पर उसकी मां हाजरा ने उसे नहला धुलाकर तैयार कर दिया. हजरत इब्राहीम अपने बेटे को जंगल की तरफ लेकर निकल पड़े. इस बीच शैतान ने कुर्बानी रोकने का प्रयास किया, लेकिन पक्की अकीदत ने हजरत इब्राहीम और उनकी पत्नी हाजरा को अल्लाह के राह में अपने बेटे की कुर्बानी देने से रोक नहीं पाया. जब इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल को जमीन पर लेटा दिया और ज्यों ही बेटे की गर्दन पर छुरी चलाई अल्लाह ने उसी वक्त उसकी कुर्बानी कबूल करते हुए हजरत इस्माइल की जगह फरिश्तों ने दुम्बा लेटा दिया. इस क्रम में दुम्बा की कुर्बानी हो गई. तभी से कुर्बानी की परंपरा चली आ रही है. इस दिन लोग अकीदा के साथ बकरे की कुर्बानी अल्लाह राह में देते है. पर्व को लेकर अनुमंडल पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा. बकरीद को लेकर पुलिस प्रशासन की व्यवस्था चाक-चौबंद रही. शहर के विभिन्न मस्जिदों , ईदगाहों के आसपास व चौक चौराहों पर मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस बल तैनात थी. इसके अलावा शहर में पुलिस का लगातार गश्त लगता रहा. ———— हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ईद- उल- अजहा
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