मधुपुर. इस्लामिक साल का पहला महीना मुहर्रम की शुरुआत हो चुकी है. मुहर्रम को लेकर जगह-जगह इमामबाड़े व कर्बला की साफ-सफाई एवं रंग रोगन का कार्य किया जा चुका है. मुहर्रम की सप्तमी को शरबत की फातिहा के साथ मन्नतें पूर्ण करने के लिए बच्चे पैग बनेंगे. पर्व को लेकर लोगो में खासा उत्साह देखा जा रहा है. मुहर्रम की दसवीं 6 जुलाई को विभिन्न मोहल्लों से अखाड़ा व ताजिया निकाला जायेगा. साथ ही लखना स्थित कर्बला में सैकड़ों की संख्या में लोग फातिहा व दुआ करेंगे. इस अवसर पर मेला का भी आयोजन किया जाता है. सच्चाई के लिए जान निछावर करने की जिंदा मिसाल है मुहर्रम : अजमल नूरी इस्लामी हिजरी सन का पहला महीना मुहर्रम है. हिजरी सन का शुरुआत इसी महीने से होता है. इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में माना जाता है. अल्लाह के रसुन हजरत मोहमद ने इस माह को पवित्र करार दिया. उक्त बातें मदरसा सिराजुल इस्लाम चांदमारी के मौलाना अजमल नूरी ने कहा. उन्होंने कहा कि हदीस के अनुसार मुहर्रम में रखे जाने वाले रोजे का सवाब अल्लाह कबूल करता है. इन दिनों की नमाज सबसे अहम नमाज माना जाता है. दस मुहर्रम को कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. मैदान- ए- कर्बला में हुई यह घटना सत्य के लिए जान निछावर करने की जिंदा मिसाल है. इस घटना में हजरत मोहमद के नवासे, हजरत इमाम हुसैन को शहीद कर दिया गया था. आज आसुरा मात्र इसी घटना को जोड़कर देखा जाता है. शहीद- ए- कर्बला की घटना अपने आप में शोक माना जाता है.
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