Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के लिए बाबा मंदिर में तैयारी जोर-शोर से चल रही है. परंपरा के अनुसार, सोमवार (17 फरवरी 2025) को दोपहर से बाबा मंदिर परिसर में स्थित मंदिरों से चिंतामणि भंडारी की अगुवाई में पंचशूल खोले जायेंगे. इसमें सबसे पहले भगवान गणेश मंदिर से पंचशूल को खोलने की परंपरा का निर्वहण किया जायेगा. इसके बाद क्रमवार धीरे-धीरे अन्य मंदिरों से भंडारी परिवार के अगुवा चिंतामणी भंडारी की देखरेख में राजू भंडारी और उनके सहयोगियों के द्वारा पंचशूल खोले जायेंगे. पंचशूल के नीचे उतरते ही इसे स्पर्श करने वालों की भीड़ लग जायेगी. सुरक्षा घेरे में एक-एक कर पंचशूलों को बाबा मंदिर प्रशासनिक भवन लाया जायेगा. यहां पंचशूल की सफाई की जायेगी.
इस दिन खुलेंगे बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के पंचशूल
इस तरह हर दिन बारी-बारी से मंदिरों के शिखर से पंचशूल खोले जायेंगे. तय तिथि के अनुसार, बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के पंचशूल फाल्गुन मास सोमवार एकादशी तिथि पर खोले जायेंगे. इसके पहले बाबा और माता पार्वती के बीच गठबंधन को खोला जायेगा. उसके बाद दोपहर 3 बजे के करीब दोनों मंदिरों से पंचशूल को खोलने की परंपरा शुरू होगी.
मंगलवार को गद्दी घर के बरामदे पर होगी पंचशूल की पूजा
मंगलवार को सरदार पंडा गद्दी घर के बरामदे पर बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती सहित सभी मंदिरों से खोले गये पंचशूल की विधिवत पूजा करेंगे. इसके लिए विशेष आयोजन किया जायेगा. यह पूजा आचार्य गुलाब और पुजारी सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा तांत्रिक विधि से करेंगे. इसमें करीब 2 घंटे लगेंगे. पूजा खत्म होने के बाद फिर से भंडारी गणेश मंदिर से पंचशूल लगाने की परंपरा शुरू करेंगे.
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सरदार पंडा करेंगे गठबंधन चढ़ाने की शुरुआत
अंत में बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती मंदिर में पंचशूल स्थापित करने के बाद सरदार पंडा बाबा और माता के मंदिर के बीच पहला गठबंधन चढ़ाकर गठबंधन चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत करेंगे. बुधवार को फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि के दिन बाबा बैद्यनाथ की शृंगार पूजा नहीं होगी. इस दिन जलार्पण के बाद बाबा का पट बंद होगा और कुछ देर बाद इसे खोल दिया जायेगा. फिर पूरी रात चतुष्प्रहर पूजा की जायेगी.
बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती मंदिर के पंचशूल का होगा मिलन
परंपरा के अनुसार, 24 फरवरी को बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती के मंदिर से एक साथ पंचशूल खोले जायेंगे. पंचशूल खोलने के बाद कुछ क्षण के लिए बाबा और माता के मंदिरों से उतारे जाने वाले पंचशूलों का मिलन कराया जायेगा. इस क्षण को देखने तथा पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है.
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