25.7 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बाबा मंदिर में दिखने लगा पुरुषोत्तम मास का असर, भक्त चढ़ा रहे रोटी और नारियल

बाबा मंदिर के गर्भ गृह तक भेजकर अरघा के माध्यम से जलार्पण कराया जा रहा है. चली आ रही परंपरा के अनुसार बाबा भोले नाथ को शुद्ध देशी घी से बने रोट एवं नारियल को अर्पित किया जा रहा है.

बाबा मंदिर में अब मलमास व पुरुषोत्तम मास का असर दिखने लगा है, लेकिन भक्तों को श्रावणी मेले की तरह ही सुलभ जलार्पण कराने के लिए व्यवस्था को जारी रखी गयी है. भक्तों को सुबह से ही कम भीड़ होने के कारण मानसरोवर से फुट ओवर ब्रिज के माध्यम से बाबा मंदिर के गर्भ गृह तक भेजकर अरघा के माध्यम से जलार्पण कराया जा रहा है. चली आ रही परंपरा के अनुसार बाबा भोले नाथ को शुद्ध देशी घी से बने रोट एवं नारियल को अर्पित किया जा रहा है. जलार्पण कर बाहर निकल रहे भक्त व्यवस्था की सराहना करते दिखे. वहीं, बाबा और पार्वती मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद भक्त गठबंधन बांध कर मंगल कामना कर रहे हैं.

मालूम हो कि, श्रावणी मेले की तरह ही बाबा मंदिर का पट अहले सुबह 3:15 मिनट पर खुलने के साथ पुजारी ने सबसे पहले शृंगार पूजा में चढ़ी पूजा सामग्री को हटा कर कांचा जल पूजा प्रारंभ की. खास पूजा में करीब 10 मिनट तक पुरोहित समाज के अन्य लोग शामिल हुए. उसके बाद पुजारी ने करीब 40 मिनट तक बाबा की सरदारी दैनिक पूजा कर आम भक्तों के लिए जलार्पण प्रारंभ कराया.

बता दें कि देवाधिदेव महादेव सह सभी देवताओं की पूजन के लिए यह मलमास श्रेष्ठ माने गये हैं, इसीलिए इन मास को पुरुषोत्तम मास कहा गया है. ढ़ाई वर्ष-पांच पखवार-तीन दिन और एक दिन के आठवें भाग बीत जाने पर अधिकमास होते हैं. इन मास में संक्रान्ति नहीं होते. बत्तीस महीने- अठारह दिन बीत जाने पर मलमास प्राप्त होते हैं. क्षयमास भी होते हैं जिनमें दो संक्रान्ति होती है. पद्मपुराण के अनुसार-मलमास में 33 देवों के निमित्त गुड़-घी के 33 मालपूवे प्रतिदिन अर्पण सह कांस्यपात्र में 33 पुए सोने सहित ब्राह्मणों को दान देने से पृथ्वीदान समतुल्य कहे गये हैं.

हे जगत् के कारण नारायण सूर्यरूप! इन श्रेष्ठ व्रत-दान से मेरे पुत्र-सम्पदाओं को वर्धित करें! जिनके हाथों गदा-चक्र, जिनके वाहन गरूड़ हाथ में शंख हैं वे भगवान् श्री विष्णु हमसबों के ऊपर प्रसन्न हों!! जिन मास में संक्रांति नहीं होते अर्थात् सूर्य रहित(मल) हैं उन मास में सभी शुभ कर्म वर्जित होते हैं! दैनिक पञ्चयज्ञ, पर्वश्राद्धादि, तीर्थ स्नान, चन्द्र-सूर्यग्रहण निमित्तक श्राद्ध, मरणनिमित्तक स्नान, गर्भाधान संस्कार, सूद पर कर्ज, मृत व्यक्ति निमित्तक पिंडदानादि कर्म तथा पितरों के सम्मान में किये जानेवाले कर्म मलमाल में कर्त्तव्य हैं! अग्निस्थापन, किन्हीं देवमूर्त्ति की प्राणप्रतिष्ठा, उद्यापन, विवाह, व्रत, मुंडन संस्कार, उपनयन संस्कार, सौभाग्य सूचक राजतिलक, बावली, कुआं, तालाब प्रभृति,देवादिप्रतिष्ठा एवं यज्ञकर्म मलमास में वर्जित हैं!

मलमास में राजगृह के तीर्थ यात्रा अति प्रशस्त हैं, कारण जो सभी देव- पितर राजगृह में वास करते हैं! राजगृह में ब्रह्मकुंड आदि में स्नान की विशेष माहात्म्य शास्त्र में कहे गये हैं!

अधिमासे तु सम्प्राप्ते गुड़सर्पिर्युतानि च!!

त्रयस्त्रिंशद्पूपानि दातव्यानि दिने दिने!!

साज्यानि गुडमिश्राणि अधिमासे नृपोत्तम!!

अधिमासे तु सम्प्राप्ते त्रयस्त्रिंशत्तु देवताः!!

उद्दिश्यापूपदानेन पृथ्वीदान फलं लभेत्!

Also Read: बाबा बैद्यनाथ धाम में विराजमान हैं मां काली दक्षिण मुखी, तांत्रिक विधि से होती है पूजा

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel