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जयंती पर याद किये गये कवि सुमित्रानंदन पंत

मधुपुर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में आयोजन

मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती पर उन्हें याद किया गया. उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. मौके धनंजय प्रसाद ने कहा कि सुमित्रानंदन पंत सुकुमार कवि रूप में शुमार होते रहे है. वे छायावाद के एक महत्वपूर्ण कवि व बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार थे. वे कवि, कथाकार, निबंधकार, आलोचक व रेडियो नाटककार भी थे. उन्होंने मात्र सात के उम्र से ही पुरस्कार विजय व काव्यपाठ कर भविष्य की नींव रखी थी. 12 वर्ष के उम्र में नेपोलियन बोनापार्ट के सिर पर लंबी बाल देखकर उन्होंने भी अपना केश बढ़ा लिया. असहयोग आंदोलन के दौरान गांधी के आह्वान पर इंटर की पढ़ाई छोड़कर वे आंदोलन में शामिल हो गये. 1915 से वे साहित्य सृजन में लग गये और 1917 से 1921 तक के बीच हस्तलिखित पत्रिका सुधाकर से लेकर अल्मोड़ा अखबार, मर्यादा आदि पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएं प्रकाशित हुई. उन्होंने विभिन्न विधाओं में कुल 38 पुस्तकें प्रकाशित करायी. उन्हें 1935 में द्विवेदी पदक, 1948 में देव पुरस्कार, 1961 में पद्मभूषण पुरस्कार, 1965 में लोकायतन के लिए सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, 1968 में कला की बुढ़ा चांद के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ. 1967 में विक्रम विश्वविद्यालय से 1970 में कानपुर विश्वविद्यालय से व 1975 में कोलकाता विश्वविद्यालय से डी लिंट की मानक उपाधि मिली. इस अवसर पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किया.

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