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deoghar news : शंकराचार्य निश्चलानंद जी ने दिया सनातन धर्म रक्षा का संदेश

डाबरग्राम स्थित मेहर गार्डन के सभागार में आयोजित तीन दिवसीय 26वां साधना व राष्ट्र रक्षा शिविर का समापन रविवार को श्रद्धा, साधना और सांस्कृतिक चेतना के साथ हुआ.

प्रतिनिधि, जसीडीह : डाबरग्राम स्थित मेहर गार्डन के सभागार में आयोजित तीन दिवसीय 26वां साधना व राष्ट्र रक्षा शिविर का समापन रविवार को श्रद्धा, साधना और सांस्कृतिक चेतना के साथ हुआ. देशभर से आये सैकड़ों सनातन अनुयायियों की उपस्थिति में पुरी पीठाधीश्वर गोवर्धन मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने गूढ़ और प्रेरणादायी प्रवचन दिये. शिविर का उद्देश्य सनातन धर्म के संरक्षण, राष्ट्र की रक्षा और सामाजिक पुनर्रचना के संकल्प को सशक्त बनाना रहा. शंकराचार्य जी ने अपने प्रवचनों में धर्म, राष्ट्र, संस्कृति, और वेद परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए गायत्री मंत्र के नियमित जप को जीवन का अंग बनाने की प्रेरणा दी. प्रवचन के बाद भक्तों ने शंकराचार्य से धर्म संबंधित प्रश्न पूछे, जिसका उन्होंने बारी-बारी से उत्तर दिया. गुरुदेव ने कहा कि जो धर्म से प्रेम करता है, वही राष्ट्र से प्रेम कर सकता है. एक दिन ऐसा आयेगा कि सभी अपनेआप को सनातनी कहेंगें. जो अन्य धर्म में चोला बदल कर गये हैं, वे चोला उतार कर सनातन धर्म में लौटने के लिए बाध्य होंगे. सभी को गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए. दीक्षा के नाम पर गायत्री मंत्र का त्याग नहीं करना चाहिए. बुद्धि को शुद्ध और समाधि करने के लिए मंत्र का जप होता है और रक्षा करने के लिए गायत्री मंत्र का जप अत्यंत आवश्यक है. बच्चों को धर्म की शिक्षा दें और धर्म के महत्व के बारे में जानकारी दें. हिन्दू राष्ट्र बनने में कोई अड़चन नहीं साधना के दौरान सनातन धर्म के सभी अनुयायियों व भक्तों को सुशिक्षित, रक्षित, संपन्न, सेवा परायण, स्वस्थ और समाज की संरचना करना मुख्य उद्देश्य रहा है. हिंदुओं के अस्तित्व और आदर्श की रक्षा, देश की सुरक्षा और अखंडता है. व्यासपीठ संत महात्मा को भी अनुगमन करें. देश जब स्वतंत्र हुआ, तब से लेकर आज तक प्रधानमंत्री की भावना रही है कि व्यासपीठ संबंध संत महात्मा भी उनका अनुगमन करें. संत भी खेमे में बंट गये हैं. भारत देश को हिन्दू राष्ट्र बनने में कोई अड़चन नहीं हो रहा है. सभी के पूर्वज सनातनी वेद काल हिंदू थे. मोहम्मद शाह, ईसा मसीह के पूर्वज सनातनी धर्मावलंबी थे. सनातन सिद्धांत वेदाचार्य सम्मत है. यह हर काल और हरेक परिस्थिति में अनुकूल है. दर्शन, विज्ञान व्यवहार से समृद्ध है. इसे अच्छे से प्रस्तुत किया जाये, तो कहीं से कोई विरोध नहीं है. शासन तंत्र को धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं बाबा मंदिर के गर्भगृह के कुछ जगह खंडित होने पर जिला प्रशासन द्वारा बिना वैदिक रीति से मरम्मत किये जाने के मामले पर कहा कि सेक्युलर शासन तंत्र को धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. पूजा में शास्त्र सम्मत फल चाहने के लिए शास्त्र सम्मत विधान करना आवश्यक है. अगर विधिवत शिवलिंग, देवी-देवता की प्रतिमा प्रतिष्ठित नहीं हो, तो उसमें देव का निवास नहीं हो पाता है. इस मौके पर शंकराचार्य के निजी सचिव स्वामी निर्विकल्पपानंद जी, प्रफुल्ल ब्रह्मचारी जी महाराज, ऋषिकेश महाराज, आनंद वाहिनी के पश्चिम बंगाल व बिहार की अध्यक्षा निभा प्रकाश, सीमा तिवारी, सुधा शर्मा, मूलचंद राठी, देवाशीष गोस्वामी, चंद्र प्रकाश जंडियाल, सुशील ठाकुर, शंभू नाथ झा, सुनील मिश्रा सहित सैकड़ों भक्त मौजूद थे. शिविर में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बिहार व बंगाल से अनुयायियों ने शामिल हुए. शंकराचार्य जी का आशीर्वाद लेने व उन्हें देखने के लिए भक्तों में उत्साह देखा गया. हाइलाइट्स जसीडीह में तीन दिवसीय 26वां साधना व राष्ट्र रक्षा शिविर का समापन

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