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देवीपुर में ओलचिकी लिपि के जनक रघुनाथ मुर्मू की मनायी गयी जयंती

संथाली भाषा के जनक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की मनायी 120 वीं जयंती

देवीपुर. प्रखंड आदिवासी सेंगेल अभियान की और से सोमवार को संताली भाषा के लिपि (ओलचिकी ) के जनक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 120 वीं जयंती महुआटांड़ पंचायत के मनुसमारी गांव में मनायी गयी. इस अवसर पर आदिवासी रीति- रिवाज के अनुसार पूजा-अर्चना कर उपस्थित लोंगो ने गुरु गोमके को श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं, जिला परगना सोमलाल बास्की ने कहा कि पांच मई पंडित रघुनाथ मुर्मू का जन्म दिवस है. झारखंड, बिहार, बंगाल, ओडिशा, असम सहित अन्य राज्यों में भी मनया जाता है. बताया कि पंडित रघुनाथ मुर्मू का जन्म पांच मई 1905 को ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिला के दंडबोश गांव में हुआ था. पंडित रघुनाथ मुर्मू मात्र 20 वर्ष के अल्प आयु में संथाली भाषा के लिपि ओलचिकी का अविष्कार किया. उन्होंने सन 1925 में संतली भाषा के लिपि ओलचिकी को संथाली समाज के सामने प्रदर्शित कर आदिवासियों के बीच में सबसे बड़ी भाषा संथाली जो संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है. 2003 में संथाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सालखान मुर्मू के नेतृत्व में एक सौ से अधिक आदिवासी संगठनों के सहयोग से यह काम हुआ था, लेकिन दुर्भाग्य झारखंड राज्य जो आदिवासियों के लिए बना अपने ही राज में झारखंड भाषा में झारखंडी भाषा ( संथाली ) को अब तक राज्य का प्रथम राजभाषा नहीं बना पाया. मौके पर देवघर जिलाध्यक्ष राजेंद्र सोरेन, दुमका महिला मोर्चा जोनल हेड मंजू मुर्मू, जिला महिला मोर्चा होलिका किस्कू, कुकुमुनी हांसदा, परमे किस्कू, हीरा लाल किस्कू, नरेश किस्कू, सोना मुनी किस्कू, संगीता सोरेन, रूपा मुनी बेसरा आदि मौजूद थे.

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