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सआदत हसन मंटो की जयंती व शायर कैफी आजमी की स्मृति दिवस पर किया याद

मधुपुर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में कार्यक्रम आयोजित

मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में रविवार को उर्दू के मशहूर अफसानानिगार सआदत हसन मंटो की जयंती व उर्दू के मशहूर शायर कैफी आजमी की स्मृति दिवस मनाया गया. दोनों विभूतियों की तस्वीर पर माल्यार्पण कर लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, धनंजय प्रसाद ने कहा कि मंटो उर्दू व हिन्दी के मशहूर लेखक थे. वे अपनी लेखनी से मानवीय जीवन की सच्चाई से लोगों को रूबरू कराते रहें. वे हरदिल अजीज लेखक थे. वह अपनी लेखनी से व्यवस्था की कुरीतियों व अव्यवस्था पर हमेशा चोट करते रहते थे. कुछ लोग उन्हें अश्लील लेखक कहकर बदनाम करते थे, जिसपर उन्हें स्पष्ट कहा था कि जहां मेरी रचना में अश्लीलता दिखती है. वहां इंसानियत दम तोड़ती हुई नजर आती है. उनकी पहली कहानी तमाशा सहित काली सलवार, डंड़ा गोश्त, धुंआ व ऊपर नीचे के दरम्यान, पर मुकदमा पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी और निरंतर लिखते रहे. इसके अलावा उनकी घाटे का सादा, हलाल, झटका, खबरदार, कयामत, बेखरी फायदा, पेशकश व कम्युनिज्म ख्याति प्राप्त रचनाएं है. वैसे मंटो एक रईस खानदान से ताल्लुक रखते थे, उनका पूरा परिवार उच्च शिक्षित व ओहदेदार थे. उन्होंने तीन सौ कहानियां, दर्जनों रेडियो नाटक, पटकथा व दर्जनों महत्वपूर्ण आलेख भी लिखें हैं. उन्होंने कहा कि कैफी आजमी आधुनिक उर्दू शायरी के बादशाह थे. उनकी रचनाओं में समय का संघर्ष, खूबसूरती व बदगुमानी बेहतरीन इजहार दिखता है. वैसे तो कैफ़ी आजमी दुनिया के गिने-चुने शायरों में से एक थे, जिन्होंने अदब के साथ फिल्मों में भी कामयाबी व शोहरत मिली है. उन्होंने कईक महत्वपूर्ण फिल्मों के लिए गीत लिखे और संवाद भी लिखे हैं. मौके पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किया.

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