Sawan 2025: राजकीय श्रावणी मेला शुरू हो गया है. मेले के दौरान देवघर-बासुकिनाथ मुख्य मार्ग स्थित घोरमारा का प्रसिद्ध पेड़ा बाजार, जहां लोगों की खचाखच भीड़ रहती थी, वो इन दिनों सुनसान है. घोरमारा का पारंपरिक पेड़ा बाजार मेले में हुए रूट डायवर्ट के कारण वीरान नजर आ रहा है. वे पेड़ा व्यवसायी जिनके दुकान ग्राहकों से भरे रहते थे, वो अब मासूम होकर एक-एक ग्राहक की राह ताक रहे हैं. यातायात व्यवस्था का शिकार घोरमारा का पेड़ा व्यवसाय हो चुका है.
हर साल होता है 80 करोड़ के पेड़े का कारोबार
श्रावणी मेले में हर वर्ष घोरमारा में 70 से 80 करोड़ के पेड़ा व खोया का कारोबार होता रहा है. घोरमारा बाजार में प्रतिदिन ढाई से तीन करोड़ के खोवा पेड़ा और खोवा का कारोबार होता था. लेकिन इस वर्ष देवघर से बासुकिनाथ जाने वाले वाहनों के मार्ग का रूट डायवर्ट कर हंसडीहा व नोनीहाट कर दिये जाने से स्थानीय पेड़ा बाजार को काफी नुकसान पहुंचा है. बासुकीनाथ से देवघर आने वाली गाड़ियां भी बहुत कम घोरमारा होकर गुजर रही हैं.
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60 से 70 फीसदी कम हुई पेड़े की बिक्री
बाजार के दुकानदारों के अनुसार प्रतिदिन मुश्किल से कुल चार से पांच लाख का कारोबार हो रहा है. दुकानदारों के अनुसार इस वर्ष रूट डायवर्ट होने का ऐसा असर पड़ा है कि सीधे तौर पर 60 से 70 फीसदी पेड़े की बिक्री ही कम हो गयी है. बिक्री नहीं होने से दुकानदारों के पास काफी मात्रा में पेड़ा और खोया स्टॉक हो गया है. औसतन एक छोटे दुकान के पास तीन से चार लाख रुपये का पेड़ा स्टॉक है. बड़े दुकानों में तो 25 से 30 लाख रुपये का पेड़ा स्टॉक हो गया है.
श्रावण में पेड़ा बेचकर सालों भर घर चलाते हैं व्यवसायी
घोरमारा बाजार में हर सावन में तकरीबन 600 से 700 दुकानें सजती हैं. इस वर्ष भी पर्याप्त दुकानें सजी हैं. दुकानदारों ने भारी मात्रा में खोया, पेड़ा, इलायची दाना और चूड़े का स्टॉक किया है. लेकिन खरीददार ही नहीं हैं. बताया जाता है कि घोरमारा के दुकानदारों का परिवार मेले में पेड़ा की बिक्री कर सालों भर अपना भरण-पोषण, बच्चों की पढ़ाई करते रहे हैं. अपनी पूंजी उठाने के साथ-साथ दुकान में काम करने वाले मजदूर व कर्मियों को वेतन देने के बाद औसतन एक दुकानदार सावन माह में 4-5 लाख रुपये तक की कमाई करते हैं.
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