Shravani Mela 2025: सावन की पहली सोमवारी को बाबाधाम में आस्था इस कदर उमड़ी कि बाबा बैद्यनाथधाम की सीमाएं छोटी पड़ गयीं. श्रद्धा की इस अविरल धारा ने हर नियम, हर योजना को अपने वेग में बहा डाला. 12 किमी दूर तक पहुंची कांवरियों की कतारें मानो बता रही थीं कि आस्था जब परवान चढ़ती है, तो कोई भी दीवार उसे रोक नहीं सकती. पहली सोमवारी पर करीब सवा दो लाख कांवरियों ने जलार्पण कर भोलेनाथ से मंगलकामना की. बाबा के दरबार में ‘बोल बम’ के जयकारों के बीच हर कोई बस बाबा पर जल चढ़ाने को आतुर था. सुबह 4:05 बजे जलार्पण की शुरुआत के साथ ही मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से ठसाठस भर गया. मंदिर परिसर में पैर रखने की जगह नहीं थी. इस दौरान सुरक्षा व भीड़ नियंत्रण के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस पदाधिकारी व जवान मुस्तैद रहे.

सिंह द्वार पर हर क्षण बना रहा अफरा-तफरी का भय
सोमवार को भीड़ अधिक होने से मंदिर के सभी द्वारों में जाम की स्थिति रही. सिंह द्वार समेत अन्य सभी प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा के लिए पुलिस बल व दंडाधिकारियों की तैनाती की गयी थी, बावजूद प्रचंड भीड़ के आगे सभी व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही थी. मंदिर के सिंह द्वार पर हालत इतनी भयावह थी कि हर क्षण अफरातफरी का भय बना रहा. कई बार कांवरिये और बच्चे गिरते देखे गये. चंद्रकूप के निकट बैठे कुछ पुरोहितों ने मोर्चा संभालकर लगातार तीन-चार घंटे तक लोगों की मदद की और उन्हें गिरने से बचाया. सुबह से ही मंदिर परिसर में ऐसी भीड़ थी कि कांवरिये अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि भीड़ के धक्के से आगे बढ़ रहे थे.

टावर चौके के पास तक पहुंची बाह्य अरघा की कतार
बाबा मंदिर के मुख्य अरघा और बाह्य अरघा से जलार्पण कर बाहर निकलने वाले कांवरियों को पार्वती मंदिर की कतार में भेजने के लिए रस्सी के सहारे बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी थी, लेकिन जैसे ही कांवरिये पार्वती मंदिर से बाहर निकलते, उन्हें पुरब द्वार से निकास करना होता था. इस दौरान भारी भीड़ के कारण वे पश्चिम द्वार की ओर चले जा रहे थे. इससे निकासी को लेकर अव्यवस्था और बढ़ गयी. निकास द्वार के समीप स्थित बाह्य अरघा में कई बार भीड़ बेकाबू होती दिखी.
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बाह्य अरघा की कतार टावर चौक तक पहुंची
बाह्य अरघा की कतार भी पश्चिम द्वार से निकल कर बड़ा बाजार होते हुए टावर चौक के निकट पहुंच गयी थी. अधिक भीड़ के कारण कुछ ही कांवरिये अरघा तक पहुंच पा रहे थे, बाकि श्रद्धालु दूर से ही गंगाजल फेंकते नजर आये. पुलिस प्रशासन के लिए इस विशाल जनसैलाब को संभालना अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहा. जगह-जगह बैरिकेडिंग के बावजूद भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा था.

सुबह 4:05 बजे से शुरू हुआ जलार्पण
हर दिन की तरह सोमवार को भी बाबा मंदिर का पट सुबह 3:05 बजे खोला गया. इसके बाद पांच से सात मिनट तक कांचा जल पूजा की गयी. इसके बाद बाबा मंदिर के महंत सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने बाबा की सरदारी पूजा की तथा दुग्धाभिषेक कर बाबा से देश-दुनिया के कल्याण की कामना की गयी. वहीं सुबह 4:05 बजे से कांवरियों के लिए जलार्पण शुरू हुआ.

नंदन पहाड़ से आगे चमारीडीह तक पहुंची भक्तों की कतार
पट खुलने से पहले ही श्रद्धालुओं की कतार स्पाइरल से होते हुए करीब 12 किलोमीटर दूर नंदन पहाड़ से आगे चमारीडीह तक पहुंच गयी. इस दौरान देर शाम तक करीब सवा दो लाख कांवरिये मुख्य व बाह्य अरघा के माध्यम से जलार्पण कर चुके थे. दोपहर तीन बजे के बाद कतार घटनो पर बीएड कॉलेज परिसर से कांवरियों को भेजने की व्यवस्था जारी रही. इधर, पूरे मंदिर परिसर में प्रशासनिक समेत पुलिस पदाधिकारी, जवान, स्वयंसेवक और मंदिर समिति के सदस्य लगातार व्यवस्था में मुस्तैद रहे.
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