Shravani Mela: देवघर में जिला प्रशासन से लेकर मंदिर प्रशासन तक 11 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावणी मेले की तैयारियों में जुटा है. इस दौरान मंदिर और मेला क्षेत्र में सावन में भक्तों की भीड़ को व्यवस्थित बनाये रखने के लिए कई काम किये जा रहे हैं. श्रावणी मेला को लेकर मंदिर की व्यवस्था में भी कुछ बदलाव किये जा रहे हैं. लेकिन बाबा मंदिर के पट बंद होने और खुलने का समय निश्चित नहीं होने से पंडा धर्मरक्षिणी सभा के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज मिश्रा को असंतोष है.
घंटों लाइन में खड़े रहते हैं श्रद्धालु

इस संबंध में मनोज मिश्रा ने कहा कि बाबा बैद्यनाथधाम से करोड़ों श्रद्धालुओं की अटूट आस्था जुड़ी हुई है. सावन हो या अन्य दिन, देश के कोने-कोने से भक्त यहां आकर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं. दुर्भाग्यवश, इस पावन धाम में आज भी श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. मुख्य मंदिर में दर्शन का कोई निश्चित समय नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं को घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है.
मंदिर प्रशासन निर्धारित करे समय

उन्होंने कहा कि मंदिर का पट कभी समय से पहले बंद हो जाता है, तो कभी देर से खुलता है, जिससे बाहर खड़े श्रद्धालुओं में असमंजस और असंतोष की स्थिति बनी रहती है. खासकर दूर-दराज से आये वृद्ध. महिलाओं और बच्चे इस अव्यवस्था से ज्यादा प्रभावित होते हैं. श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन को चाहिए कि पट खुलने और बंद होने का एक निर्धारित समय जारी करे, ताकि लोग उसी के अनुसार अपनी योजना बना सकें.
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भक्तों के लिए पीने के पानी का इंतजाम नहीं
मनोज मिश्रा आगे कहते हैं कि लाइन में खड़े श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नदारद है. गर्मी के दिनों में यह समस्या और भी विकराल हो जाती है. मंदिर के भीतर और परिसर में कई स्थानों पर बिजली के तार जर्जर अवस्था में हैं, जिससे कभी भी दुर्घटना घट सकती है. प्रशासन को चाहिए कि मंदिर परिसर की संपूर्ण विद्युत व्यवस्था का निरीक्षण कर आवश्यक मरम्मत कार्य शीघ्र कराये. इसके अलावा शीघ्रदर्शनम कूपन की व्यवस्था भी बहुत सीमित है, जिससे वीआईपी या वरिष्ठ नागरिकों को दर्शन में भारी कठिनाई होती है.
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पार्किंग की समस्या का भी करते हैं सामना
उन्होंने बताया कि मेला और सावन जैसे विशेष अवसरों पर पुरोहित समाज के लोगों को यातायात और पार्किंग की समस्या का भी सामना करना पड़ता है. प्रशासन को चाहिए कि इन व्यवस्थाओं को प्राथमिकता के साथ दुरुस्त करे. श्रद्धालुओं की आस्था और सुविधा दोनों को सुरक्षित रखना प्रशासन की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए.
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