संवाददाता, देवघर . स्थानीय विलियम्स टाउन स्थित चित्रकूटधाम में आयोजित नौ दिवसीय राम रामकथा के पावन प्रसंगों का स्मरण करते हुए कथा वाचक कपिल भाई ने बताया की कुरूपता के कारण त्यागी गयी शबरी को मतंग ऋषि ने न केवल शरण दी, बल्कि उन्हें ””””राम मंत्र”””” देकर रामभक्ति में लीन कर दिया. देहावसान से पहले ऋषि ने शबरी से कहा कि संसार में एकमात्र राम ही अपने हैं, बाकी सभी स्वार्थी हैं. उन्होंने आश्वस्त किया कि प्रभु श्रीराम एक दिन स्वयं उनके कुटिया में दर्शन देने आयेंगे. वहीं प्रभु श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ शबरी के कुटिया पधारे भी और भगवान राम ने शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश दिया, जिसमें नौ प्रकार के उपदेश के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें पहला सत्संग, दूसरी रामकथा से प्रेम, तीसरा गुरु भक्ति, चौथा राम गुणगान, पांचवां राम नाम जप, छठा सदाचरण, सातवां जगत में राम दर्शन,आठवां संतोष और नवां हर्ष विषाद से परे ईश्वर में अटल विश्वास की जानकारी दी. आगे बताया की हनुमान जी लंका में अशोक वाटिका पहुंचकर माता सीता को प्रभु की मुद्रिका देते हैं. उनके आशीर्वाद के बाद जब रावण उनकी पूंछ में आग लगवाता है, तो हनुमान लंका दहन कर देते हैं. फिर लौटकर प्रभु श्रीराम को ‘सिया सुधि’ सुनाते हैं. वहीं विभीषण रावण को प्रभु राम को परम ब्रह्म मानकर युद्ध टालने की सलाह देते हैं. लेकिन रावण क्रोधित होकर उसे लात मारने पर विभीषण लंका त्याग कर श्रीराम की शरण में आ जाते हैं. प्रभु श्रीराम उन्हें शरणागत मानकर स्वीकार करते हैं. इस दौरन रामसेतु निर्माण की कथा का भी वर्णन किया गया, जिसमें समुद्र मार्ग नहीं देने पर श्रीराम का क्रोधित होना और तब समुद्रदेव नल-नील के माध्यम से सेतु निर्माण का मार्ग सुझाने का वर्णन किया. श्रीराम वानर-भालू सेना के साथ लंका पहुंचते हैं. कई दिनों के युद्ध के बाद अंत में प्रभु श्रीराम रावण का वध कर माता सीता को संग लेकर अयोध्या लौटते हैं. कार्यक्रम में मुख्य रूप से अध्यक्ष आरपीएम पुरी,कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह,महामंत्री अंजनी कुमार मिश्रा,संयोजक योगेंद्र नारायण सिंह, सचिव पंकज सिंह भदोरिया, उमेश प्रसाद सिंह सहित सैंकड़ों लोग मौजूद थे.
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