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बालू लदे ट्रैक्टरों के ड्राइवर बिना लाइसेंस के मनमाने तरीके से चला रहे हैं वाहन, जांच के अभाव में बढ़ रहीं दुर्घटनाएं

बालू लदे ट्रैक्टरों के गलत तरीके से परिचालन करने वाले ड्राइवरों की वजह से दुर्घटनाएं बढ़ रही है. वहीं इन ड्राइवरों के पास लाइसेंस भी नहीं होते हैं. वहीं जांच में पता चला है कि फर्जी लाइसेंस लेकर भी ड्राइवर ट्रैक्टर चला रहे हैं.

संवाददाता, देवघर . जिले में इन दिनों बालू लदे ट्रैक्टरों का संचालन बिना रोकटोक जारी है. चाहे वह वैध हो या अवैध सड़कों पर इन ट्रैक्टरों की धड़ल्ले से आवाजाही हो रही है. लेकिन सवाल यह है कि इन ट्रैक्टरों को चलाने वाले ड्राइवरों के पास ड्राइविंग लाइसेंस है भी या नहीं . इस गंभीर लापरवाही का खुलासा बीते महीने तब हुआ, जब एसडीएम रवि कुमार ने खुद सड़क पर उतर कर बालू लदे ट्रैक्टरों की जांच की. जांच के दौरान कई ड्राइवरों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं पाया गया था. माना जा रहा है कि ट्रैक्टरों से होने वाली दुर्घटनाओं की वजह भी बिना लाइसेंस वाले ड्राइवरों का मनमाने तरीके से गाड़ी का परिचालन करना है.

सड़क हादसों का कारण बन रहे बिना लाइसेंस वाले ट्रैक्टर ड्राइवर

अवैध रूप से बालू लदे ट्रैक्टरों को तेज रफ्तार में और लापरवाही से चलाने की वजह से आये दिन सड़क पर हादसे हो रहे हैं. इनमें कई लोगों की जानें भी जा चुकी है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं के पीछे प्रशासनिक स्तर पर समय पर जांच न होना एक बड़ा कारण है. वैध बालू उठाव के लिए जब ऑनलाइन चालान बनता है, तो उसमें ड्राइवर का लाइसेंस अपलोड करना अनिवार्य होता है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ट्रैक्टर मालिक किसी और का लाइसेंस अपलोड कर देते हैं और गाड़ी कोई दूसरा व्यक्ति चला रहा होता है. इसकी कभी भी धरातल पर जांच नहीं होती.

डीटीओ ने थानों को भेजा निर्देश, मांगी पूरी जानकारी

इस पूरे मामले को लेकर जिला परिवहन पदाधिकारी शैलेश प्रियदर्शी ने गंभीर रुख अपनाया है. उन्होंने जिले के सभी थानेदारों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है, कि खनन से संबंधित जब भी कोई वाहन पकड़ा जाये, तो उसकी पूरी जानकारी जैसे गाड़ी का पेपर, फिटनेस, टैक्स, ओवरलोडिंग और ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस परिवहन विभाग को देना अनिवार्य है. डीटीओ की ओर से जारी इस पत्र की प्रतिलिपि डीसी, एसपी , खनन पदाधिकारी, सारठ व मधुपुर एसडीपीओ और ट्रैफिक डीएसपी को भी भेजी गयी है. डीटीओ ने आगे कहा है कि अभी तक देखा जा रहा है कि थानों के द्वारा सिर्फ खनन विभाग को ही जानकारी दी जा रही है और वहां से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद वाहन को छोड़ दिया जा रहा है. जबकि नियमानुसार, परिवहन विभाग को भी इसकी पूरी जानकारी मिलनी चाहिए ताकि ओवरलोडिंग और बिना लाइसेंस के वाहन चलाने जैसे मामलों की भी जांच हो सके. सूचना न मिलने के कारण सरकार को राजस्व की भी भारी क्षति हो रही है.

॰एसडीएम की छापेमारी में खुली पोल, फर्जी लाइसेंस लेकर भी ट्रैक्टर चला रहे हैं ड्राइवर॰थानों से परिवहन विभाग को नहीं दी जा रही जानकारी, नियमों की उड़ रही धज्जियां

॰डीटीओ ने सभी थानेदारों को दिया निर्देश, वाहन पकड़ने पर लाइसेंस के संबंध में दें परिवहन विभाग को जानकारी

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