धनबाद.
बैंक मोड़ स्थित एक्जोटिका अपार्टमेंट में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का समापन रविवार को हो गया. कथा वाचक पं. उदय तिवारी ने द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, योगेश्वर श्रीकृष्ण के जीवनदर्शन और ब्रज की फूलों की होली का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया. उन्होंने कहा कि राजा वही जो नीति से राज करे और भक्त वही जो बिना मांगे प्रभु को पा ले. उन्होंने सुदामा चरित्र को भक्ति का सबसे कोमल और सच्चा स्वरूप बताया. सुदामा के पास कुछ नहीं था, पर हृदय में कृष्ण बसे थे.सच्चा ज्ञानी वही, जो चींटी, सर्प, अग्नि, जल, आकाश और समाज से सीखता जाता है
वहीं योगेश्वर संवाद पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान दत्तात्रेय ने बताया कि उन्होंने प्रकृति और जीवों से 24 प्रकार के गुणों और शिक्षाओं को ग्रहण कर 24 गुरु बनाये. सच्चा ज्ञानी वही है जो चींटी, सर्प, अग्नि, जल, आकाश और समाज से सीखता चलता है. कथा के अंत में फूलों की होली खेली गयी. इसमें राधा-कृष्ण की लीलाएं, गोपियों की भावभक्ति और फूलों की वर्षा ने कथा स्थल को भक्ति, आनंद और रंगों से सराबोर कर दिया. समिति के सदस्यों ने राधा-कृष्ण और गोपियों की वेषभूषा में फूलों की होली खेली. बताया गया कि श्रीमद्भागवत कथा केवल ग्रंथ नहीं, जीवन जीने की कला है. द्वारिका हमें कर्तव्य सिखाती है, सुदामा चरित्र भक्ति सिखाता है और गीता आत्मबल देती है. कथा का समापन भक्ति भाव, आरती, पुष्पवर्षा और प्रसाद वितरण के साथ किया गया. अंत में समिति ने कथा में सहयोग देने वाले सभी लोगों को सम्मानित किया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है