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Dhanbad News : सीबीआइ प्रकरण : बस्ताकोला प्रबंधन ने दफ्तर से दूसरी जगह जाने वाले तीनों कर्मियों को किया शो-कॉज

Dhanbad News : सीबीआइ प्रकरण : बस्ताकोला प्रबंधन ने दफ्तर से दूसरी जगह जाने वाले तीनों कर्मियों को किया शो-कॉज

Dhanbad News : बस्ताकोला कोलियरी कार्यालय में कार्यरत पीएफ क्लर्क धीरज कुमार निषाद के साथ पकड़ाये अमित दास (बिल क्लर्क ) व संजय कुमार को सीबीआइ ने पूछताछ के बाद गुरुवार की सुबह छोड़ दिया, जबकि एक अन्य कर्मी कुमार अभिषेक, जो घटनास्थल से फरार हो गया था, को सीबीआइ टीम ने गुरुवार को अपने ऑफिस बुलाया और पूछताछ की. ड्यूटी के दौरान जोड़ाफाटक धनसार इलाके में जाने के कारण बस्ताकोला कोलियरी प्रबंधक अभिषेक कुमार ने अमित कुमार, अभिषेक व संजय कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. प्रबंधन ने इस पत्र के जरिए दोनों से सात दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है. प्रबंधक का कहना है कि बुधवार को जब दोनों की ड्यूटी बस्ताकोला कोलियरी कार्यालय में थी, तो नियंत्रण अधिकारी के बिना बताये दूसरी जगह कैसे चले गये.

क्या है आरोप

बता दें कि गुरुवार को क्लर्क धीरज बस्ताकोला कार्यालय में नहीं थे. जब सीबीआई का शिकायतकर्ता घूस देने कार्यालय पहुंचा. उसके बाद अमित और संजय ने दूरभाष पर धीरज से बात की. जहां धीरज ने उसे जोड़ाफाटक रोड धनसार के पास लेकर आने को कहा. इसके बाद अमित और संजय ने शिकायतकर्ता शिव को लेकर धनसार चले गये, जहां घूस लेने के दौरान सीबीआइ ने तीनों को पकड़ लिया. इस घटना के बाद कार्यालय के अन्य कर्मियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है.

2002 में भी दो कर्मी हुए थे गिरफ्तार

बता दें कि 2002 में इस कार्यालय के कार्मिक विभाग में कार्यरत इंद्रमनी राय व 2009 में जयप्रकाश ठाकुर को भी सीबीआई ने घूस लेते पकड़ा था. इधर इस कार्यालय में कार्यरत एक कर्मी ने बताया कि क्लर्क की भारी कमी है. उसके चलते इलेक्ट्रिक हेल्पर संजय कुमार से फाइनेंस विभाग का कार्य कराया जा रहा था. बस्ताकोला कोलियरी में विक्ट्री, चांदमारी, बस्ताकोला ओसीपी व कार्यालय सेक्शन है. इस कोलियरी का मेन पावर 872 है.

रसूख दिखा अधिकारियों पर भी भारी पड़ जाते हैं बिचौलिये

बस्ताकोला कोलियरी कार्यालय इन दिनों भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. बिना पैसे के मजदूरों का काम नहीं होता है. चाहे वह फाइनेंस, ग्रेच्युटी, लीव या कार्मिक विभाग हो. इस कारण सेवानिवृत्त कर्मियों को अपने कार्य के लिए भटकना पड़ता है. पैसे नहीं देने पर कर्मियों का फाइल दबी रहती है. इसकी शिकायत जश्रसं नेता दिनेश पासवान ने विजिलेंस व बीसीसीएल के उच्चाधिकारियों से कई बार की है, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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