धनबाद.
आइआइटी आइएसएम में शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “नेक्स्ट-जेन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग : रेलवे और माइनिंग एप्लिकेशंस में संख्यात्मक मॉडलिंग” विषय पर शुरू हो गयी. सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा इंडियन जियोटेक्निकल सोसाइटी (आइजीएस) धनबाद चैप्टर के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में मिडास रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर इंडिया ने सहयोग किया. इसमें देशभर से 100 से अधिक इंजीनियर, शोधकर्ता व छात्र शामिल हुए. सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया सेमिनार हॉल में आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य रेलवे व खनन क्षेत्रों में जियोटेक्निकल समस्याओं के विश्लेषण और मॉडलिंग में प्रतिभागियों को दक्ष बनाना है. कार्यशाला के प्रमुख विषयों में स्लोप फेल्योर, एंबैंकमेंट स्टेबिलिटी, गहरे खुदाई क्षेत्रों का विश्लेषण और माइनिंग से जुड़ी भू-स्खलन समस्याएं शामिल हैं.इंजीनियरिंग में उभरती चुनौतियों पर प्रकाश डाला
मुख्य अतिथि मिडास के निदेशक रवि किरण ऐनी ने सिविल और जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में उभरती चुनौतियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने प्रतिभागियों को पारंपरिक तरीकों को चुनौती देने और नवीन तकनीकों को अपनाने की प्रेरणा दी. अध्यक्षता आइआइटी आइएसएम के अनुसंधान एवं विकास डीन प्रो सागर पाल ने की. आइजीएस धनबाद चैप्टर के चेयरमैन प्रो शरत कुमार दास ने संस्था की गतिविधियों पर चर्चा की, जबकि सिविल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष प्रो. श्रीनिवास पसुपुलेटी ने विभाग के शैक्षणिक कार्यक्रमों और शोध कार्यों का परिचय दिया. आइजीएस धनबाद चैप्टर की मानद सचिव प्रो. सौम्या चौला ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया. सह-समन्वयक प्रो. विश्वास नंदकिशोर खत्री ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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