डीएचएफल मामले को लेकर रांची हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई 30 अप्रैल को होगी. यह मामला 25 अप्रैल को सुनवाई के लिए डबल बेंच में सूचीबद्ध था, पर माननीय न्यायाधीश के उपस्थित न होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी. उल्लेखनीय है कि सीएमपीएफओ द्वारा डीएचएफल में मई 2014 से 2015 के बीच 1390.25 करोड़ निवेश किया गया था. 2019 से डीएचएफल की स्थिति खराब होने लगी. 2020 के मार्च महीने में फंड मैनेजरों एसबीआइ और यूटीआई ने रिडेम्पशन क्लॉज के तहत निवेश की गयी राशि वापस लेने की अनुमति सीएमपीएफओ से मांगी, लेकिन सीएमपीएफओ कमिश्नर द्वारा बार बार कहने के बाद भी बीओटी की मीटिंग समय पर नहीं हुई. मीटिंग दिसंबर 2020 में हुई. तब तक डीएचएफल दिवालिया घोषित हो गया. कैग ने अपनी रिपोर्ट में इसके लिए सीएमपीएफओ को जिम्मेदार ठहराया है. इस मामले की सीबीआइ की जांच की मांग को लेकर संजीव श्रीवास्तव ने सितंबर 2022 में उपरोक्त याचिका दायर किया है. याचिका में केंद्र सरकार, कोयला मंत्रालय के सचिव, बीओटी, कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव व आर्थिक सलाहकार, डीएफ सीआएल, महानिदेशक सीबीआई, इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट, एसबीआई और यूटीआई को पार्टी बनाया है.
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