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Dhanbad News: यूरिनल इंफेक्शन से बचने के लिए खूब पानी पीयें

स्वरूप विद्या मंदिर टुंडी में प्रभात खबर का स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम ''स्वस्थ बेटियां, खुशहाल परिवार'' का आयोजन किया गया. इसमें जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ ईशा रानी ने छात्राओं को आवश्यक जानकारी दी.

धनबाद.

स्वरूप विद्या मंदिर टुंडी में बुधवार को प्रभात खबर का स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम ””स्वस्थ बेटियां, खुशहाल परिवार”” का आयोजन किया गया. इसमें शहर की जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ ईशा रानी ने छात्राओं को खास दिनों में होनेवाली परेशानी, उससे बचाव, यूरिनल इंफेक्शन, एनिमिया, पीसीओडी व सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए वैक्सीनेशन की जानकारी दी. कार्यक्रम में शामिल छात्राएं जागरूक थीं, उन्होंने कई सवाल भी पूछे. चिकित्सक ने बेटियों के सवालों को ध्यान से सुना, उनके समाधान भी बताये. किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव, बीमारियों व मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियां दी. छात्राओं को मूड स्विंग होने, स्ट्रेस मैनेजमेंट को लेकर भी जानकारी दी गयी. मौके पर विद्यालय की शिक्षिकाएं रुक्मिणी सिंह, पूनम कुमारी, जया तिवारी, आयुषी त्रिवेदी आदि उपस्थित थीं.

किशोरावस्था में आते हैं बदलाव

डॉ ईशा ने कहा कि किशोरावस्था में कई शारीरिक बदलाव आते हैं. हार्मोनल बदलाव भी होता है. भारतीय परिवेश में लड़कियों का मासिक 12 साल से शुरू हो जाता है. कुछ लड़कियों में 16 साल की उम्र में इसकी शुरुआत होती है. बदलते वातावरण के कारण अब आठ साल की लड़कियों को भी मासिक आने लगा है. अगर ऐसा हो तो चिकित्सक की सलाह लें. जिन किशोरियों को सोलह साल तक मासिक नहीं आता है, वे भी चिकित्सक से मिलें. पीरियडस के समय साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें. खास दिनों में भी डेली रुटीन को फॉलो करें.

पीसीओडी के दौरान होते हैं हार्मोनल बदलाव

वर्तमान समय में बेटियों में पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) की समस्या बढ़ती जा रही है. इस डिसऑर्डर के दौरान हार्मोनल बदलाव होते हैं. इससे मोटापा, अनियमित मासिक, चेहरे पर बाल आना, सिरदर्द होना, नींद न आना, मूड स्विंग, माइग्रेन की शिकायत होती है. पीसीओडी से बचने के लिए सबसे पहले लाइफ स्टाइल में बदलाव लायें, पौष्टिक आहार लें. नियमित रूप से मेडिटेशन व योगा करें, तनाव, नकारात्मक विचार न पाले, सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय न रहें.

वैक्सीनेशन की दी जानकारी

सर्वाइकल कैंसर पेपीलोमा वायरस से होता है. इससे बचने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है. नौ साल से 45 साल तक इसके पांच डोज लगाये जाते हैं. नौ से 14 साल में दो, 18 से 45 साल में तीन डोज लगते हैं. ज्ञात हो कि हर आठ में से एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. उन्होंने बताया कि पेट में कीड़ा रहने से भी भूख नहीं लगती है. पेट में कीड़ा संक्रमण के कारण होते हैं. कई तरह की समस्या हो सकती है. इसका कारण दूषित व बासी भोजन, दूषित मिट्टी के संपर्क में आना, सफाई का ध्यान न रखना, हाथ धोये बिना खाना खाना है. ऐसे में भोजन से पहले रगड़ कर हाथ धोयें, फल-कच्ची सब्जियां धोकर खायें

चिकित्सक ने दिये सुझाव

पीरियड्स के समय स्वच्छता का ख्याल रखें. पीरियड्स आने के पहले पेट दर्द की समस्या होती है. अधिक होने पर चिकित्सक की सलाह पर दवा लें. माह के खास दिनों में स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी है, नहीं तो संक्रमण फैल सकता है. सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करें और हर पांच-छह घंटे में उसे बदलें. अगर इचिंग हो रहा हो तो परिजन को बतायें, पौष्टिक व संतुलित आहार ले. नियमित योग करें. रोज 10 से 12 गिलास पानी पीयें.

यूटीआइ इंफेक्शन से बचें

ई- कोलाई बैक्टीरिया के कारण यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआइ) होता है. महिलाओं में यह कॉमन है. इंफेक्शन होने से ठंड के साथ बुखार आना, यूरीन के साथ ब्लड आना, उल्टी आदि की समस्या हो सकती है. इससे बचने के लिए माहवारी के समय गंदे पैड का इस्तेमाल न करें. स्वच्छता का पूरा ख्याल रखें. खूब पानी पीयें. पानी का कम सेवन भी इंफेक्शन का कारण हो सकता है. यूरिन रोके नहीं. टॉयलेट का इस्तेमाल करने के पहले व बाद में पानी डाल दें.

संतुलित आहार लें बेटियां

बढ़ती बेटियों को कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, विटामिन व मिनरल की जरूरत अधिक होती है. फास्ट फूड व जंक फूड से परहेज करें. फास्ट व जंक फूड से मोटापा, अनियमित मासिक, खून की कमी, लंबाई का नहीं बढ़ना जैसी समस्याएं होती हैं. भारतीय खाना स्वादिष्ट होने के साथ स्वास्थ्य के लिए सही होता है. संतुलित आहार लें, जो हरी सब्जी, चावल, दाल, दूध, दही, फल से प्राप्त होते हैं.

अखबार पढ़ने से सामान्य ज्ञान के साथ मिलती है अन्य जानकारी

छात्राओं को हेल्थ काउंसेलिंग से पहले अखबार की उपयोगिता बतायी गयी. उन्हें बताया गया कि अखबार पढ़ने से सामान्य ज्ञान के साथ अन्य खबरों की जानकारी मिलती है. स्टूडेंट लाइफ में अखबार मददगार साबित होता है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिलती है. शब्दकोष बढ़ता है. रोज नये शब्द सीखने को मिलते हैं. करियर, हेल्थ संबंधी जानकारी के साथ ही रोजगार की जानकारी भी अखबार में होती है. स्थानीय खबरों के साथ देश-विदेश में होनेवाली हलचल के बारे में अखबार से पता चलता है. अखबार की खबर तथ्य परक होती है. स्टूडेंट के लिए लाइब्रेरी का काम करता है अखबार.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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