धनबाद.
धनबाद जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ये खिलाड़ी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. जिले में खिलाड़ियों के लिए कोई समर्पित स्वास्थ्य सुविधा, खेल मेडिकल इंश्योरेंस या रिहैबिलिटेशन सेंटर मौजूद नहीं है. इसके बावजूद जिले के खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि चोट लगने की स्थिति में इलाज तक कराना उनके लिए चुनौती बन जाती है. जिले में तीन हजार से अधिक सक्रिय खिलाड़ी विभिन्न खेलों में भाग ले रहे हैं. इनमें एथलेटिक्स, फुटबॉल, क्रिकेट, कराटे, बैडमिंटन और ताइक्वांडो प्रमुख हैं. इन खिलाड़ियों के लिए कोई समर्पित स्पोर्ट्स मेडिसिन डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट या स्पोर्ट्स हेल्थ क्लिनिक नहीं हैं. ना ही राज्य सरकार की ओर से किसी प्रकार का मेडिकल इंश्योरेंस या नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा दी गयी है. चोटिल खिलाड़ी अक्सर निजी खर्च पर इलाज कराते हैं.चोटिल होने के बाद छूटा खेल, संघर्ष के बाद भी नहीं मिला सहयोग
महिला धावक अनामिका कुमारी ने बताया कि बीते साल प्रैक्टिस के दौरान उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया था. इलाज के लिए ना कोई सरकारी सहायता मिली, ना ही कोई मेडिकल इंश्योरेंस था. डेढ़ माह तक खुद ही दवाई और फिजियोथेरेपी करायी. वहीं फुटबॉलर विक्की महतो ने बताया कि उनका घुटना खेलने के दौरान मुड़ गया था, मगर आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण इलाज में देरी हुई. परिवार के लोगों ने किसी तरह इलाज कराया. मगर लंबे समय तक वह मैदान से दूर रहा. विक्की ने बताया कि आज वो भले खेल रहे हैं, मगर कभी कभी इलाज में देरी व सही उपचार नहीं मिलने से खेलने में दिक्कत होती है.
कोच बोले : मेहनत से चमक रहे खिलाड़ी, सरकार से अपेक्षा ज्यादा
जिले के एथेलेटिक्स कोच जयराम भगत ने बताया कि जिले में खिलाड़ी सिर्फ अपने जुनून के बल पर आगे बढ़ रहे हैं. अगर मेडिकल और रिहैबिलिटेशन की सुविधा हो तो ये बच्चे और अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. वॉलीबॉल कोच सूरज प्रकाश लाल ने कहा कि जिले में खिलाड़ियों को स्वास्थ्य कार्ड, बीमा और पोषण सुविधा नहीं मिलती है, धनबाद के खिलाड़ी सिर्फ नाम के प्रशिक्षण और खराब मैदानों के सहारे प्रैक्टिस करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है