IIT ISM Dhanbad: धनबाद-आइआइटी आइएसएम के केमेस्ट्री एंड केमिकल बायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों ने रिसर्च के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इस विभाग के शिक्षक प्रो सुमंता कुमार पाधि और रिसर्च स्कॉलर अमन मिश्रा ने मेथनॉल बनाने की पर्यावरण-अनुकूल नयी तकनीक विकसित की है. इस तकनीक को भारत सरकार द्वारा पेटेंट प्रदान किया गया है. यह तकनीक जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निबटने की दिशा में अहम कदम साबित हो सकती है. शोध में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार, वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड और बाइकार्बोनेट को अलग करके उन्हें हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया से मेथनॉल में परिवर्तित किया जाता है.
ऐसे काम करती है यह प्रक्रिया
इस प्रक्रिया की सबसे खास बात यह है कि इसमें वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग किया जाता है, जो कि एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है. कार्बन डाइऑक्साइड को पहले वायुमंडल से कैप्चर किया जाता है, फिर उसे बाइकार्बोनेट के साथ मिलाकर प्रतिक्रिया योग्य माध्यम में बदला जाता है. इसके बाद हाइड्रोजन गैस की सहायता से उसे नियंत्रित ताप और दाब में उत्प्रेरकों की मदद से मेथनॉल में परिवर्तित किया जाता है.
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जैव ईंधन और रासायनिक कच्चा माल है मेथनॉल
मेथनॉल एक उपयोगी जैव-ईंधन और रासायनिक कच्चा माल है. इसका प्रयोग ऊर्जा उत्पादन, रसायन निर्माण और ईंधन में होता है. यह प्रक्रिया न केवल वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों को बढ़ावा देती है, बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को घटाने में भी मददगार है. कुल मिलाकर, यह शोध कार्बन कैप्चर और उपयोग के क्षेत्र में एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक की दिशा में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
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