आइआइटी आइएसएम में मंगलवार को शताब्दी वर्ष व्याख्यान शृंखला के तहत प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार और शिक्षाविद गौरहरि दास के व्याख्यान का आयोजन किया गया. व्याख्यान का विषय ‘भले ही रात कितनी भी लंबी हो, भोर अवश्य होगा’ था. साहित्य अकादमी पुरस्कार, ओडिसा साहित्य अकादमी पुरस्कार (2001), सरला पुरस्कार (2022) और उत्कल साहित्य समाज पुरस्कार (1999) जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित श्री दास ने जीवन की कठिनाइयों के सामने धैर्य व संघर्ष के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘दर्द अवश्यंभावी है, साहस का स्वागत किया जाना चाहिए और आत्म-संदेह को छोड़कर आगे बढ़ना ही एकमात्र विकल्प है.’ इस व्याख्यान में संस्थान के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया.
उपन्यास पर हुई चर्चा :
उनके उपन्यास डॉन ऑफर द लांग नाइट में ऐसी ही भावनाओं को दर्शाया गया है. इसमें उर्वशी नामक नायिका समाज की प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए हार नहीं मानती. यह कहानी उन महिलाओं की पीड़ा को उजागर करती है, जो समाज व अपने प्रियजनों द्वारा अस्वीकार किये जाने के बावजूद संघर्षरत रहती हैं. श्री दास की कई साहित्यिक रचनाओं को प्रसिद्ध निर्देशकों निरद महापात्र, बसंत साहू और धीर मलिक ने टेलीविजन फिल्मों में रूपांतरित किया है. उनकी कहानियां असामी, माया और शिकुली भी नाटकों के रूप में मंचित की गयी हैं. कार्यक्रम में संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. जेके पटनायक, संस्थान की प्रो. रजनी सिंह डीन, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन, प्रो. आलोक दास डीन, आइआइइइ प्रमुख रूप से उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है