कभी हार का डर, आर्थिक तंगी, तो कभी पारिवारिक रिश्तों में कलह से परेशान लोगों को आत्महत्या जैसे कदम कभी-कभी आसान लगते हैं. लेकिन जिंदगी अनमोल है. काेई भी डर या कोई भी परेशानी जीवन से बड़ी नहीं है. धनबाद जिले में इस वर्ष के शुरुआती साढ़े पांच माह में 105 लोगों की आत्महत्या का आंकड़ा बताता है कि आज के समय में लोगों के पास धैर्य की कमी है. इस बात को समझना है होगा कि जीवन में किसी तरह की समस्या का समाधान धैर्य के साथ किया जा सकता है. बस मन में आये तूफानों को गुजर जाने दें. जिले के विभिन्न थानों में दर्ज प्राथमिकी और पुलिस रिकॉर्ड से जानकारी सामने आयी है कि अधिकतर अवसाद के मामले में आत्महत्या जैसी घटनाएं हुई हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या के सबसे अधिक मामले धनबाद, धनसार, निरसा और जोड़ापोखर थाना क्षेत्रों से सामने आये हैं. इन क्षेत्रों में लगातार आत्महत्या की घटनाएं हो रही हैं. इससे समाजशास्त्रियों, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गयी है. विशेषज्ञों के अनुसार, आत्महत्या के पीछे मुख्य कारणों में मानसिक तनाव, बेरोजगारी, पारिवारिक कलह, आर्थिक तंगी, नशा व अवसाद है.
आत्महत्या करने वालों में किशोर से लेकर बुजुर्ग तक :
धनबाद जैसे औद्योगिक और खनिज-समृद्ध जिले में आत्महत्या के बढ़ते मामले यह भी दर्शाते हैं कि आर्थिक संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इस कारण धनबाद में प्रत्येक माह 20 लोग अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं. इसमें किशोर से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं. किसी ने कीटनाशक खाकर जान दी, तो किसी ने फांसी लगायी.धनसार व निरसा थाना क्षेत्र में आत्महत्या की अधिक घटनाएं
धनबाद जिला के कुछ थाना क्षेत्रों में आत्महत्या की घटनाएं अधिक हो रहीं हैं. इसमें धनसार थाना में सात, निरसा थाना में सात, धनबाद थाना में छह, पुटकी में छह घटनाएं हुईं. इसके अलावा बाघमारा, बलियापुर, बरवाअड्ड में तीन-तीन, चिरकुंडा में चार, सरायढेला में चार घटनाएं हुईं. बाकी थानों में एक-दाे घटनाएं हुईं. इन सभी मामलाें में पुलिस सिर्फ यूडी केस दर्ज कर फाइल बंद कर देती है. लेकिन इसके कारणों को पता कर किसी तरह के कोई जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया जाता है.आत्महत्या के कारण
– मानसिक तनाव: आत्महत्या के मामलों में मानसिक तनाव एक बड़ा कारण है. लोग अपने जीवन की समस्याओं से परेशान होकर आत्महत्या का कदम उठा लेते हैं.– आर्थिक समस्याएं: आर्थिक समस्याएं भी आत्महत्या का एक बड़ा कारण हैं. लोग अपने आर्थिक बोझ को सहन नहीं कर पाते और आत्महत्या का कदम उठा लेते हैं
आत्महत्या रोकने के उपाय
– मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना: लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए. – सामाजिक समर्थन: लोगों को सामाजिक समर्थन की आवश्यकता होती है. दोस्तों और परिवार के सदस्यों को अपने प्रियजनों की समस्याओं को समझना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए.हाल में हुई आत्महत्या की घटनाएं
22 मार्च बरटांड़ के राजीव सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या की26 अप्रैल को झरिया के हैंडसम खान ने फांसी लगाकर जान दे दीसात मई को पतराकुल्ही की रिया सिन्हा ने फांसी लगा आत्महत्या कर ली
25 मई को हाइवा में फांसी लगाकर ढोकरा के युवक ने जान दे दीसात जून को कतरास के भोलू साव ने फांसी लगाकर आत्महत्या की12 जून को भूली आजाद नगर के चंदन शेखर ने छत से कूदकर जान दे दी. 14 जून को बलियापुर के खिलाड़ी अश्विनी कुमार केवट ने फांसी लगाकर आत्महत्या की
बोले मनोचिकित्सक
बच्चों पर कठोरता और बड़ों में अकेलापन, यही आज की सबसे खतरनाक चुप्पी है, जो आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियों को जन्म देती है. परिवार अगर स्नेह और संवाद से भरा हो, तो न कोई बच्चा टूटेगा और न ही कोई बुजुर्ग अकेला महसूस करेगा. आज के समय में अकेलापन ही नशे की लत को बढ़ा रहा है. लोगों को अपने परिवार से दूर नहीं जाना चाहिए. लोगों से दूरी नहीं लोगों से संबंध बनायें. इससे डिप्रेशन जैसी शिकायतें नहीं होगी.
डॉ केएन ठाकुर,
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