धनबाद.
धनसार जगन्नाथ मंदिर समेत अन्य मंदिरों, जहां से रथयात्रा निकाली जायेगी, वहां गुरुवार को नेत्र उत्सव का आयोजन किया गया. इस अवसर पर जय जगन्नाथ के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठे. इस अवसर पर प्रभु जगन्नाथ ने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ एकांतवास से बाहर आकर भक्तों को दिव्य रूप के दर्शन दिये. ज्ञात हो कि गत 12 जून को 108 घट जल से स्नान करने के बाद प्रभु अस्वस्थ होकर एकांतवास में चले गये थे. चौदह दिन एकांतवास में रहने के बाद गुरुवार को एकांतवास से बाहर निकालकर उन्हें मंदिर में बिराजमान किया गया. इसे लेकर जगन्नाथ मंदिर धनसार में रात दो बजे ही पूजा शुरू हो गयी थी. तड़के चार बजे पुरी से आये देवाशीष पांडा व स्थानीय पुजारी हेमंत पांडा व विनोद पांडा ने प्रभु को मंदिर में लाकर उनका विशेष शृंगार किया. सुबह पांच बजे प्रभु का पट भक्तों के दर्शनार्थ खोला गया. मौके पर विधायक राज सिन्हा व कमेटी की अध्यक्ष शकुंतला मिश्रा, सचिव महेश्वर राइत, उपाध्यक्ष इंदु महापात्रा समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.आज निकलेगी रथ यात्रा
शुक्रवार को सुबह चार बजे मंगला आरती के साथ पूजा शुरू होगी. उन्हें स्नान कराकर विशेष शृंगार किया जायेगा. 1008 नाम से हवन यज्ञ किया जायेगा. इसके बाद प्रभु का महाप्रसाद वितरित होगा. शाम चार बजे रथयात्रा निकाली जायेगी. सजे रथ पर प्रभु व उनके भाई-बहन को बिराजमान कर नगर भ्रमण कराया जायेगा. रथ के आगे सोने की झाड़ू से छेरा पहरा किया जायेगा. उसके बाद भक्तगण रथ का रस्सा खींचते हुए प्रभु जगन्नाथ को उनके भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ नगर भम्रण के लिए ले जायेंगे. नगर भ्रमण के बाद प्रभु मासी बाड़ी जायेंगे. वहां आठ दिन रहकर पांच जुलाई को घर लौटेंगे. इस अवसर पर उलटी रथयात्रा निकाली जायेगी. इसे बाहुड़ा यात्रा भी कहते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है