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Dhanbad News: करोड़ों का मेधा डेयरी का दूग्ध प्लांट बन गया कलेक्शन सेंटर

सरकारी उदासीनता के कारण धनबाद स्थित 10 हजार लीटर क्षमता का दूग्ध प्लांट मेधा डेयरी बदहाल हो गया. यहां मशीनें कबाड़ बन चुकी हैं. वहीं करोड़ों के सामान चोरी हो गये हैं.

धनबाद.

धनबाद के लाेगाें काे शुद्ध दूध उपलब्ध कराने के लिए साल 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू साेरेन ने भूदा के रानी राेड में मेधा डेयरी के प्लांट का उद्घाटन किया था. यह प्लांट करीब आठ कराेड़ रुपये की लागत से बना था. वर्तमान में यह सिर्फ कलेक्शन सेंटर बनकर रह गया है. यहां समितियों के माध्यम से सिर्फ दूध कलेक्शन हो रहा है. हर दिन सुबह व शाम मिलाकर तीन हजार लीटर दूध कलेक्ट कर रांची भेजा जाता है.

बता दें कि 2008 में प्लांट के उद्घाटन के एक साल बाद ही प्राेडक्शन बंद हाे गया. बाद में तत्कालीन पशुपालन एवं गव्य विकास मंत्री मन्नान मल्लिक ने दाेबारा मेधा डेयरी काे शुरू करने का बीड़ा उठाया. कराेड़ाें रुपये खर्च कर मिल्क प्राेसेसिंग के लिए अत्याधुनिक मशीनें मंगायी. इसके बाद भी डेयरी की सूरत नहीं बदली. 10 हजार लीटर से कुछ ही वर्षाें में प्राेडक्शन 500 लीटर पर पहुंच गया. साल 2019 से मेधा डेयरी में प्राेडक्शन पूरी तरह बंद कर दिया गया. साल 2022 में इसे मिल्क कलेक्शन सेंटर के रूप में शुरू किया गया.

डेयरी के कई सामान चोरी, मशीनें हुईं कबाड़

सरकारी उदासीनता की वजह से डेयरी के कई सामान चाेरी हाे गये हैं. वहीं रख-रखाव के अभाव में कराेड़ाें रुपये की मशीनें भी बेकार हाे चुकी हैं. शुरुआती दाैर से ही मेधा डेयरी अधिकारियाें के लिए लूट का जरिया बना रहा.

एकाउंट्स के दस्तावेज नहीं, दफ्तर से एसी, कुर्सियां व जनरेटर के सामान हुए चाेरी

कुछ वर्ष पहले तत्कालीन मंत्री बादल पत्रलेख के निर्देश पर पशुपालन एवं गव्य विकास विभाग के सचिव ने मेधा डेयरी का दाैरा किया था. डेयरी का ताला खाेलने पर पता चला कि एकाउंट्स के कई दस्तावेज गायब थे. अलमारियां खुली हुईं थी. दफ्तर का एसी, जनरेटर के पार्टस, कुर्सियां आदि गायब थे.

शहर में खाेले गए 40 स्टाॅल, बिक रहे अन्य कंपनियाें के उत्पाद

मेधा डेयरी के शुरू हाेने के साथ ही शहर के अलग-अलग जगहाें पर 40 डिस्ट्रिब्यूशन स्टॉल खाेले गये थे. डेयरी के दूध का प्राेडक्शन नहीं हाेने से कई स्टाॅल बंद हाे गये. वहीं कुछ स्टाॅल में मेधा काे छाेड़ अन्य कंपनियाें के उत्पाद बिक रहे हैं.

कैसे गिरते गया डेयरी का उत्पादन

2008 से 2009 तक : 10 हजार लीटर हुआ दूध का प्राेडक्शन.

2010 : प्राेडक्शन बंद.

2011 : दाेबारा पांच हजार लीटर से प्राेडक्शन शुरू2013 : प्राेडक्शन चार हजार लीटर.

2014 : प्राेडक्शन तीन हजार लीटर.

2015 से 2018 : प्राेडक्शन एक हजार लीटर.

2019 : 500 लीटर प्राेडक्शन के बाद डेयरी बंद हो गयी.

2022 : 500 लीटर से दूध का कलेक्शन शुरू किया गया.

2023 : कलेक्शन बढ़कर एक हजार लीटर पहुंचा2024 से अबतक : तीन हजार लीटर दूध का हो रहा कलेक्शन

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