मनोहर कुमार, धनबाद
‘छने छने बदले तहरो मिजाज रजउ, उड़न बाज रजउ…कांग्रेस के बना देलऽ मजाक रजउ…’. भोजपुरी की लोकगायिका करीना पांडेय का यह गीत इन दिनों काफी ट्रेंडिंग में है, जो वर्तमान में झारखंड प्रदेश कांग्रेस पर भी बिलकुल सटीक बैठता है. प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर यह चर्चाओं का बाजार गर्म है कि किस प्रकार से पार्टी में मनोनयन-मनोनयन का खेल चल रहा है. पहले पार्टी के प्रदेश नेतृत्व द्वारा जिला से प्रस्ताव मंगवा कर नये प्रखंड अध्यक्षों का मनोनयन किया जाता है. इधर नये प्रखंड अध्यक्षों ने अभी ठीक से अपनी खुशियां भी नहीं मनायी थीं कि प्रदेश अध्यक्ष द्वारा एक नया फरमान जारी करते हुए उन सभी प्रखंड अध्यक्षों के मनोनयन को ही निरस्त कर दिया जाता है. साथ ही यह निर्देशित किया जाता है कि पुराने प्रखंड अध्यक्ष ही पूर्व की तरह अपने कार्य करते रहेंगे. कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व की इस निर्णय के बाद ना सिर्फ जिलाध्यक्ष, बल्कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की खूब किरकिरी हो रही है. उनके बदलते मिजाज की भी खूब चर्चा हो रही है.प्रदेश नेतृत्व के कार्रवाई पर उठ रहे सवाल :
इधर प्रदेश नेतृत्व ने अपना निर्णय पलटने के पीछे यह तर्क दिया है कि राज्य के सभी प्रखंड अध्यक्षों को संगठन सृजन 2025 के तहत 100 दिन का कार्य दायित्व मंथन कार्यक्रम सौंपा गया है. इसी कारण जो भी नई नियुक्ति की गई है, उसे निरस्त किया गया है. अब लोग यहां सवाल उठा रहे हैं कि क्या प्रदेश अध्यक्ष को यह बात मनोनयन के पहले से मालूम नहीं था. प्रखंड अध्यक्षों को हटाने की अनुशंसा किसी जिलाध्यक्ष ने तो नहीं की थी. पहले खुद ही अनुशंसा मांगी और फिर निरस्त करने की कार्रवाई. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष की इस कार्रवाई से ना सिर्फ जिलाध्यक्षों, बल्कि प्रदेश नेतृत्व की भी खूब किरकिरी हो रही है.अंडरग्राउंड हुए जिलाध्यक्ष :
प्रदेश नेतृत्व के इस फैसले के बाद जिलाध्यक्ष अंडरग्राउंड हो गये हैं. सूचना के मुताबिक पार्टी कार्यकर्ताओं का फोन तक नहीं उठा रहे हैं. जबकि उन्हें सभी प्रखंड व नगर में कैंप लगा कर गठित कमेटी के पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र देना था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है