धनबाद.
टुंडी डिग्री कॉलेज में भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ प्रीतम कुमार सिंह द्वारा विकसित एक नई तकनीक का पेटेंट प्रकाशित हुआ है. इस तकनीक से सौर पैनलों की क्षमता लंबे समय तक बनी रह सकेगी. डॉ प्रीतम ने कॉलेज के प्राचार्य डॉ इंद्रजीत कुमार के साथ शुक्रवार को अपने इस शोध का पेटेंट प्रकाशित होने से संबंधित प्रमाणपत्र कुलपति प्रो रामकुमार सिंह को सौंपा. पेटेंट का शीर्षक है ”” सेल्फ क्लीनिंग सोलर पैनल सिस्टम यूजिंग बायोडिग्रेडेबल नैनो काेटिंग फॉर इनक्रिज्ड इफिसिएंसी””. यह तकनीक खासकर उन इलाकों के लिए उपयोगी है, जहां धूल व गंदगी ज्यादा होती है. ऐसे क्षेत्रों में सौर पैनलों की सतह पर जमा धूल उनकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता को घटा देती है.नैनो कणों की विशेष कोटिंग तैयार की
डॉ. प्रीतम ने इस समस्या के समाधान के लिए पर्यावरण के अनुकूल (बायोडिग्रेडेबल) नैनो कणों की एक विशेष कोटिंग तैयार की है, जो धूल व पानी को पैनल की सतह से दूर रखती है. उन्होंने इस कोटिंग को सौर पैनलों पर लगाया और वास्तविक परिस्थितियों में इसका परीक्षण किया. पाया कि नैनो कोटिंग वाले पैनल 95 प्रतिशत तक अपनी कार्यक्षमता बनाये रखते हैं, जबकि बिना कोटिंग वाले पैनलों की क्षमता 20 से 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है. यह तकनीक बिजली उत्पादन को बेहतर बनाने में मददगार साबित होगी. इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो. डॉ रामकुमार सिंह व प्राचार्य डॉ. इंद्रजीत कुमार ने डॉ प्रीतम की प्रशंसा की है. डॉ इंद्रजीत कुमार ने बताया कि बीबीएमकेयू में किसी भी शिक्षक का यह पहला पेटेंट प्रकाशन है. बता दें कि डॉ प्रीतम, डिग्री कॉलेज टुंडी में फिजिक्स विभाग में नीड बेस्ड शिक्षक हैं. उन्होंने आइआइटी आइएसएम से पीएचडी की है.
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