कोर्ट रोड स्थित सदर अस्पताल हमेशा किसी न किसी बात को लेकर सुर्खियों में बना रहता है. कभी दवा की अनियमित आपूर्ति तो कभी मरीजों की गिरती संख्या को लेकर चर्चा में बना रहता है. यहां मरीजों के सामान्य तरह की जांच की सुविधा भी नहीं है. एक्स-रे, यूएसजी समेत विभिन्न तरह के रक्त जांच के लिए मरीजों को बाहर से जांच कराने भेज दिया जाता है. कई विभागों में चिकित्सकों की घोर कमी है. रात को अस्पताल पहुंचने पर मरीजों को वापस लौटाने के कई मामले सामने आ चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले छह माह में सदर अस्पताल में लगातार इंडोर के मरीजों की संख्या भी घटी है. मरीजों के कम आने से सर्जरी भी कम हुई है. मरीजों की लगातार घटती संख्या पर सिविल सर्जन ने आपत्ति जताते हुए नोडल पदाधिकारी को व्यवस्था सुधार का निर्देश दिया था. आज भी अस्पताल में इंडोर के मरीजों की संख्या से जुड़े आंकड़ों में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है. ऐसे में सामान्य कमियों को दूर करने की जगह विभाग द्वारा अस्पताल में मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर (ओटी) निर्माण को लेकर एक बार फिर से चर्चा हो रही है. करोड़ों की लागत से यहां मॉड्यूलर ओटी निर्माण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग को भेजा है.
उठ रहे सावल : जब मरीज ही नहीं रहते तो मॉड्यूलर ओटी की क्या है जरूरत
लाेगों का कहना है कि जब अस्पताल में एक्स-रे, यूएसजी, विभिन्न तरह के रक्त जांच के लिए मशीनों की खरीदारी करने का काम अबतक अधूरा है. अधूरा चिकित्सा व्यवस्था के कारण इंडाेर में मरीजों के संख्या लगातार घट रही है. ऐसे में अभी करोड़ों की लागत से मॉड्यूलर ओटी निर्माण की जरूरत क्या है. पहले बेसिक सुविधाओं का विकास होना चाहिए.क्या है मॉड्यूलर ओटी
मॉड्यूलर ओटी में हेपा फिल्टर लगा होता है, जो बैक्टीरिया व वायरस को फिल्टर कर देता है. इससे वे अंदर नहीं आ पाते और संक्रमण का डर नहीं रहता. ह्यूमिडिटी (आर्द्रता) कंट्रोल रहती है. कारण नमी का स्तर मापदंड से कम या ज्यादा होने पर बैक्टीरिया पनपने का डर रहता है. मॉड्यूलर ओटी पूरी तरह एसी युक्त होता है. ओटी में हर घंटे में 15-20 बार एयर चैलेंज होते हैं. इसके लिए ओटी में एयर हैंडलिंग यूनिट लगे होते हैं, जो एयर को मापदंड के अनुसार रखते है. ओटी लाइट 10 लाख लक्स लीटर की होती है. ओटी में सारे उपकरण डिजिटल व हाइटेक होते हैं. इसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन व अन्य गैसों के लिए एक ही प्लेटफाॅर्म होता है. मेन ओटी में पहुंचने से पहले तीन चेंबर होते हैं. ऑपरेशन ओटी के दरवाजे अपने-आप खुलने और बंद होने वाले होते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है