आइआइटी-आइएसएम में पंचायतों के सशक्तीकरण को लेकर पांच दिवसीय प्रबंधन विकास का कार्यक्रम सोमवार सो शुरू हुआ. आयोजन पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से हो रहा है. 11 अप्रैल तक चलने वाले इस कार्यशाला में छह राज्यों क्रमश: झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश से 50 पंचायत प्रतिनिधि, मास्टर ट्रेनर और अधिकारी भाग ले रहे हैं. ग्राम स्वराज योजना के तहत आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को लोकतांत्रिक, सक्षम और जवाबदेह बनाना है. सोमवार को कार्यक्रम का उद्घाटन टेक्समिन के अत्याधुनिक स्मार्ट क्लासरूम में हुआ. इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन प्रो प्रेम व्रत ने प्रभावी नेतृत्व पर व्याख्यान दिया. उन्होंने सकारात्मक बदलाव और प्रभावशाली नेतृत्व पर कहा कि नेतृत्व केवल प्रशासनिक क्षमता नहीं, बल्कि विश्वास, प्रेरणा और दिशा देने की कला है. उन्होंने प्रतिनिधियों का आह्वान किया कि वे अपने कार्यक्षेत्र में एक प्रेरक बदलाव का माध्यम बनें. संस्थान के निदेशक निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा ने नीति और तकनीक के समन्वय पर बल देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम न केवल पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करेगा, बल्कि अकादमिक संस्थान को भी जमीनी सच्चाई से जोड़ने का एक माध्यम बनेगा. उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार ने इसे एकदिवसीय नहीं, बल्कि संवादात्मक प्रक्रिया बताया, जिससे शैक्षणिक और प्रशासनिक जगत के बीच ज्ञान और अनुभव का द्विपक्षीय आदान-प्रदान संभव होगा. रजिस्ट्रार प्रबोध पांडेय ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम की संयोजक एवं डीन कॉरपोरेट कम्युनिकेशन प्रो रजनी सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य पंचायत स्तर पर जागरूक, दक्ष और तकनीकी रूप से समर्थ नेतृत्व को बढ़ावा देना है.
पहले दिन हुए सत्र :
उद्घाटन सत्र के बाद प्रतिनिधियों के लिए पहले दिन विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा विषयगत सत्र आयोजित किये गये. प्रो सुकुमार मिश्रा ने ग्रामीण विकास में ऊर्जा की भूमिका पर प्रकाश डाला. प्रो रजनी सिंह ने विषय पर संवाद कौशल को पंचायत नेतृत्व के लिए आवश्यक बताया. प्रो नीलाद्रि दास ने प्रतिनिधियों को प्रशासनिक दक्षता का प्रशिक्षण दिया. अगले पांच दिनों में प्रतिनिधियों को तकनीकी नवाचार, ग्रामीण स्वास्थ्य, सिंचाई, वित्तीय प्रबंधन, परियोजना मूल्यांकन, पीपीपी मॉडल, 2030 तक ग्राम पंचायतों की भूमिका, सतत विकास लक्ष्यों में पंचायतों की भूमिका, स्किलिंग, डिजिटल मार्केटिंग और स्थानीय उत्पादों से रोजगार जैसे विषयों पर प्रशिक्षित किया जाएगा. 11 अप्रैल को इस प्रशिक्षण का समापन होगा, जिसमें भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के रजिस्ट्रार एवं आइआइटी-आइएसएम के पूर्व छात्र प्रतिभागियों को संबोधित करेंगे.आइआइटी आइएसएम ने किया है एमओयू :
केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने आइआइटी आइएसएम के साथ देश भर से पंचायती राज से जुड़े जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए एमओयू किया है. इस एमओयू का उद्देश्य गांवों के विकास में तकनीक और बेहतर प्रबंधन की सहभागिता को बढ़ाना है. यह एमओयू अभी दो वर्ष के लिए किया गया है.कोट
प्रशिक्षण एक समावेशी, पारदर्शी और टिकाऊ शासन प्रणाली की नींव रखने की दिशा में एक ठोस प्रयास है. आइआइटी-आइएसएम धनबाद इस पहल के माध्यम से न केवल ग्रामीण भारत के भविष्य को सशक्त बना रहा है, बल्कि विकसित भारत की संकल्पना को भी मजबूती प्रदान कर रहा है.
– प्रो रजनी सिंह,
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