चैत शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मंगलवार को जिले भर में आदिवासी समुदाय का पावन त्योहार सरहुल बड़े धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर आदिवासी महिला-पुरुषों ने परंपरागत धोती-साड़ी पहनकर व माथे पर गुलाल लगाये मांदर की थाप पर जमकर झूमे. सभी झूमते-गाते शाम को भूदा स्थित सरना स्थल पहुंचे. वहां विधि-विधान के साथ सखुआ के पेड़ और माता सरना की पूजा-अर्चना कर परिवार व समाज की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की गयी. इस अवसर पर शहर के विभिन्न हिस्सों में रहनेवाले आदिवासी समुदाय के लोगों ने अलग-अलग जुलूस निकाला. सभी जुलूस झारखंड मैदान पहुंचे. इसके बाद यहां से शोभायात्रा निकाली गयी. इसमें आदिवासी छात्रावास चीरागोड़ा के विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए. वहीं पुलिस लाइन से भी जुलूस निकला और झारखंड मैदान पहुंचा. इससे पूर्व पुलिस लाइन में मांदर की थाप पर डीसी व एसपी भी झूमे. केंद्रीय सरहुल पूजा सह दिशुम की ओर से आयोजित कार्यक्रम में पुलिस कर्मी और उनके परिजन पारंपरिक परिधान में दिखे. मुख्य अतिथि के रूप में डीसी माधवी मिश्रा, सिटी एसपी अजीत कुमार के अलावा डीएसपी ट्रैफिक अरविंद सिंह, डीएसपी प्रदीप मिंज, डीएसपी अर्चना खलको आदि मौजूद थे.
सरना स्थल पर की गयी पूजा-अर्चना :
उपायुक्त ने जिले के लोगों को सरहुल पर्व की शुभकामनाएं देते हुए सभी के लिए सुख, शांति, समृद्धि व खुशहाली की कामना की. मंच से डीसी-एसपी सहित अन्य अतिथियों को सरना स्थल पर ले जाया गया. जहां पाहन के साथ अतिथियों ने पूजा-अर्चना की. इस दौरान महिलाएं व पुरुष लोक गीत गा रही थीं. पूजा स्थल पर दो घड़ा रखा गया था. इसमें से एक धरती और दूसरा सूर्य का प्रतिक था. इन दोनों के कारण ही धरती हरी-भरी रहती है. इसके बाद घड़ा को देख कर पाहन ने बताया कि इस वर्ष कितनी बारिश और फसल की कैसी उपज होगी. इसके उपरांत सरना स्थल के सामने सभी अतिथियों के अलावा अन्य लोगों का जुटान हुआ. आदिवासियों का लोक गीत शुरू हुआ. एसपी ने मांदर बजाना शुरू किया. वहीं महिलाओं के साथ डीसी ने पारंपरिक नृत्य किया.कौन-कौन थे मौजूद :
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व सांसद पीएन सिंह थे. वहीं अन्य अतिथियों में सांसद ढुलू महतो की पत्नी सावित्री देवी, धनबाद विधायक राज सिन्हा, झरिया विधायक रागिनी सिंह, सिंदरी महतो चंद्रदेव महतो, धनसार थाना प्रभारी मनोज कुमार पांडे थे.सरहुल में सखुआ फूल का विशेष महत्व
केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक वरिंद्र हांसदा व अध्यक्ष हांगो उरांव ने कहा कि सरहुल में सखुआ फूल व पत्ते का विशेष महत्व होता है. सरना स्थल के बीच में सरना ध्वजा लगाकर अखाड़ा बनाया जाता है, जहां महिला-पुरुष सभी नृत्य करते हैं. मौके पर सचिव रोशन टुडू, उपाध्यक्ष राजकिशोर हांसदा, संजय हांसदा, शंकर किस्कु, अमित मुर्मू, अजय बास्की, अमित मुर्मू, विरेन्द्र मुर्मू, नायकी सुरेन प्रसाद सोरेन, सदस्य बिरसा उरांव, मंगल कोक, सुरेश उरांव, अनिल सिंह मुंडा, विनय उरांव, राम प्रसाद मुर्मू, किशोर मुर्मू, राजू हांसदा, मनीष हेंब्रम, सोनू मरांडी आदि थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है