राज्य के सभी विश्वविद्यालयों की तरह बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय (बीबीएमकेयू) भी स्थायी शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहा है. विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर (पीजी) विभागों में स्वीकृत पदों की तुलना में आधे से भी कम शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं, अंगीभूत कॉलेजों की स्थिति इससे भी बद्तर है. यहां स्वीकृत पदों के मुकाबले मात्र एक-चौथाई से भी कम शिक्षक हैं. नये अंगीभूत कॉलेजों में हालात और भी गंभीर हैं, जहां केवल एक या दो स्थायी शिक्षक कार्यरत हैं. शिक्षकों के लगातार सेवानिवृत्त होने से स्थिति और भी विकट होती जा रही है. बीबीएमकेयू झारखंड का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना के साथ ही शिक्षकों के पदों का सृजन कर दिया गया था. वर्तमान में पीजी विभागों के अधीन 28 पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं. इन विभागों में कुल 126 पद स्वीकृत हैं. इनमें 21 प्रोफेसर, 42 एसोसिएट प्रोफेसर और 63 असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल हैं. लेकिन इन पदों के मुकाबले वर्तमान में केवल 46 स्थायी शिक्षक कार्यरत हैं.
कॉलेजों में 450 से अधिक स्वीकृत पद हैं, 127 स्थायी शिक्षक से चल रहा काम
विश्वविद्यालय के अधीन 13 अंगीभूत कॉलेज हैं. इनमें शिक्षकों के 450 से अधिक पद स्वीकृत हैं. परंतु इन सभी कॉलेजों में मिलाकर केवल 127 स्थायी शिक्षक ही कार्यरत हैं. इनमें तीन नए अंगीभूत कॉलेज (डिग्री कॉलेज टुंडी, डिग्री कॉलेज झरिया और डिग्री कॉलेज गोमिया) की स्थिति सबसे दयनीय है. इन कॉलेजों में शिक्षकों के 18-18 पद स्वीकृत हैं, लेकिन प्रत्येक कॉलेज में केवल एक-एक स्थायी शिक्षक कार्यरत हैं.विवि में हैं 150 नीड-बेस्ड शिक्षक
बीबीएमकेयू में स्थायी शिक्षकों के साथ-साथ लगभग 150 नीड-बेस्ड (आवश्यकता आधारित) शिक्षक कार्यरत हैं. इनमें से आठ शिक्षक विभिन्न पीजी विभागों में कार्यरत हैं, जबकि शेष 13 अंगीभूत कॉलेजों में सेवा दे रहे हैं. नये कॉलेजों में तो केवल नीड-बेस्ड शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं. नीड-बेस्ड शिक्षकों को जोड़ने के बाद भी विश्वविद्यालय में स्वीकृत पदों के मुकाबले शिक्षकों की संख्या मात्र 50 प्रतिशत के करीब है.
विवि में एक भी प्रोफेसर नहीं :
वर्तमान में विश्वविद्यालय में एक भी प्रोफेसर नहीं है. शिक्षक प्रोन्नति के इंतजार में कुछ शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि कई योग्य शिक्षक प्रोन्नति की प्रतीक्षा में हैं. झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के माध्यम से प्रोन्नति की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण यह मामला लंबित है. प्रोन्नति के अभाव में शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इससे शिक्षकों की संख्या में और कमी आ रही है. प्रोफेसर नहीं होने के कारण शिक्षकों का करियर ग्रोथ भी पूरी तरह रुक गया है. वे कुलपति या प्रति-कुलपति जैसे उच्च पदों के लिए आवेदन तक नहीं कर पा रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है