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Dhanbad News : नृत्यांगनाओं ने कहा : धनबाद में पर्याप्त सुविधाएं नहीं, पर कला की ज्योत जलाये रखना है

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर विशेष-यहां के लोगों की मांग कोयलांचल में होना चाहिए कला का विकास

मंगलवार 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस है. नृत्य कला में गायन, वादन व नृत्य का समावेश होता है. गायन, वादन व नृत्य मानव को जीवन के प्रति आशान्वित करते हैं. काला हीरा की धरती कोयलांचल में कथक की नृत्य गुरु कल्पना मल्लिक, भरतनाट्यम की गुरु मीनाक्षी सरकार की जगह आज भी रिक्त है. इसके बावजूद यहां की नृत्यांगनाएं नयी पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य, रवींद्र नृत्य के छंद, ताल व भाव भंगिमा सीखा रही हैं. यहां चल रहे डांस क्लासेज में बच्चियों के साथ बच्चे भी डांस सीख रहे हैं. डांस क्लास संचालिकाओं को कोयलांचल में आर्ट गैलरी, डांस वर्कशॉप, नृत्यशाला आदि सुविधाओं की कमी का मलाल है. इसके बावजूद वे नयी पीढ़ी को नृत्यकला में पारंगत करने में जुटी हैं. उनका कहना है नृत्य साधना, समर्पण व समय मानता है. जबकि आज के लोग वेस्टर्न डांस में दिलचस्पी ले रहे हैं.

करियर के लिए क्लासिकल डांस में है ऑप्शन :

राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर की डांस टीचर ने कादिम्विरी कहा कि 32 साल से नृत्य के क्षेत्र में समर्पित हूं. भरत नाट्यम का रस, ताल, भाव भंगिमा की जानकारी बच्चों को दे रही हूं. इतने सालों में अन्य क्षेत्र में तो बदलाव आया है लेकिन कला का क्षेत्र आज भी उपेक्षित है. कला की जानकारी व रूचि नहीं होने के कारण यहां के लोग क्लासिकल डांस की जगह वेस्टर्न डांस में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. जबकि शास्त्रीय नृत्य साधना व समर्पण मांगता है. आज करियर के रूप में डांस बेहतरीन ऑप्शन है. मेरी दो छात्राएं स्कूल में डांस टीचर हैं. नमिता डिनोबिली स्कूल सीएफआरआई में व दीपिका डीएवी स्कूल देवघर में डांस टीचर हैं.

धनबाद में आर्ट गैलरी की जरूरत :

नृत्यांगन डांस क्लासेज की संचालिका तनुश्री रे ने कहा कि पिछले चार दशक से क्लासिकल डांस को लेकर एक्टिव हूं. हरि मंदिर में नृत्यांगन डांस क्लासेज संचालित कर रही हूं. यहां 70 बच्चियां भरत नाट्यम सीखती हैं. धनबाद पब्लिक स्कूल में 22 साल डांस टीचर के रूप में सेवा देने के बाद 2019 में त्यागपत्र देकर नृत्यांगन की शुरुआत की. कोयलांचल में कई विकास कार्य हुए पर कला के क्षेत्र में बदलाव नहीं आया. यहां आर्ट गैलरी की जरूरत है. आज की पीढ़ी कम समय में प्रसिद्धि पाना चाहती है. जबकि संयम के बिना सफलता नहीं मिलती है. समय, समर्पण व रियाज से ही जीवन में सफल हो सकते हैं.

विदेशों में है शास्त्रीय नृत्य की मांग :

शिप्राज एकेडमी ऑफ डांस की संचालिका शिप्रा काते ने कहा कि प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना सितारा देवी के पुत्र पंडित मोहन कृष्ण से कथक नृत्य सीखा. वहीं उनके पुत्र विशाल कृष्ण को समय-समय पर कोयलांचल बुलाकर यहां के कलाकारों को कथक की बारिकियाें की तालीम दी. 2015 से कार्मिक नगर में शिप्राज एकेडमी ऑफ डांस चला रही हूं. यहां का साहित्य व कला जगत बहुत उदासीन है. लोग क्लासिकल डांस की जगह वेस्टर्न की ओर भाग रहे हैं, जबकि विदेशों में क्लासिकल डांस की हमेशा डिमांड की जाती है. शास्त्रीय संगीत में पारंगत होने के लिए अभ्यास व समर्पण की जरूरत होती है. यहां के कलाकारों के लिए समय-समय पर वर्कशॉप भी करती हूं.

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